क्या अमेरिका ने 2026 के जी-20 से दक्षिण अफ्रीका को बाहर किया है, पोलैंड को न्योता दिया?
सारांश
Key Takeaways
- अमेरिका ने दक्षिण अफ्रीका को जी-20 से बाहर किया।
- पोलैंड को जी-20 में आमंत्रित किया गया है।
- ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीकी सरकार की नीतियों की आलोचना की।
- जी-20 शिखर सम्मेलन दिसंबर 2026 में होगा।
- अमेरिका दक्षिण अफ्रीका के लोगों का समर्थन करता है।
वाशिंगटन, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका ने अगले वर्ष मियामी में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका को आमंत्रित करने से मना कर दिया है। इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिका ने जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की है। इसके बाद, अगली बैठक से दक्षिण अफ्रीका को बाहर रखने का निर्णय लिया गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एएनसी (अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस) के नेतृत्व वाली सरकार पर तोड़फोड़, अमेरिका के प्रति दुश्मनी और ऐसे एजेंडे का आरोप लगाया है जो फोरम के आर्थिक मिशन को कमजोर करता है।
विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि जी-20 अपने मूल आर्थिक विकास के मुद्दों पर वापस लौटेगा।
उन्होंने बताया कि अमेरिका जी-20 में केवल दोस्तों, पड़ोसियों और साझेदारों को आमंत्रित करेगा। इसमें पोलैंड को भी शामिल किया जाएगा, जिसे उन्होंने दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बताया। उन्होंने कहा कि पोलैंड की भागीदारी सुधारों को अपनाने और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करने वाले देश की सफलता को दर्शाती है।
इसके विपरीत, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के नेतृत्व की कड़ी आलोचना की और कहा कि मंडेला युग के बाद वहां की सरकार ने सामंजस्य की जगह पुनर्वितरणकारी नीति अपनाई, जिससे निवेश को हतोत्साहित किया गया और देश के प्रतिभाशाली नागरिक विदेश चले गए।
उन्होंने कहा कि जातीय कोटा ने निजी क्षेत्र को पंगु बना दिया है, जबकि भ्रष्टाचार ने राज्य को दिवालिया कर दिया है। इसके कारण दक्षिण अफ्रीका दुनिया की 20 सबसे बड़ी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं के समूह से पूरी तरह बाहर है।
रूबियो ने कहा कि इस साल जी-20 की दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता ने नफरत, बंटवारे और कट्टरपंथी एजेंडे को बढ़ावा देकर जी-20 की प्रतिष्ठा को धूमिल किया है। इसमें जलवायु परिवर्तन, विविधता और समावेशन जैसे मुद्दों पर जोर दिया गया।
उन्होंने प्रिटोरिया पर अमेरिका की आपत्तियों को नजरअंदाज करने, वाशिंगटन और अन्य देशों के इनपुट को ब्लॉक करने और इन बातचीत पर काम कर रहे अमेरिकी अधिकारियों की जानकारी लीक करने का आरोप लगाया।
रूबियो ने कहा कि अमेरिका अपनी 250वीं वर्षगांठ पर नवाचार, उद्यमिता और दृढ़ता को प्रमुखता देगा। इसके अलावा, अमेरिका अपनी अध्यक्षता को रेगुलेटरी बोझ को हटाने, किफायती और सुरक्षित ऊर्जा सप्लाई चेन को खोलने और नई तकनीक व नवाचार को आगे बढ़ाने पर केंद्रित करेगा।
उन्होंने एएनसी पर अपने अफ्रीकी नागरिकों के खिलाफ हिंसा के प्रति सहिष्णुता का आरोप लगाया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के ईरान के साथ संबंधों, हमास समर्थकों को बढ़ावा देने और अमेरिका के सबसे बड़े विरोधियों के साथ घनिष्ठता का हवाला दिया। रूबियो ने कहा, "इन सभी कारणों से राष्ट्रपति ट्रंप और अमेरिका दक्षिण अफ्रीकी सरकार को निमंत्रण नहीं देंगे।"
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका के लोगों का समर्थन करता है, लेकिन उसकी कट्टरपंथी सरकार का समर्थन नहीं करता है।
विदेश विभाग के एक मीडिया नोट ने अमेरिकी अध्यक्षता की पुष्टि की और आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा और तकनीकी नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने की बात दोहराई।
जी-20 लीडर्स समिट दिसंबर 2026 में मियामी में होगा। हालांकि, भारत इस अमेरिका-दक्षिण अफ्रीका के बीच घटनाक्रम पर नजर रख सकता है, क्योंकि देश भी जी-20 की अध्यक्षता कर चुका है और इस मंच की प्राथमिकताओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है।