क्या अमेरिका ने ईरान के तेल व्यापार पर नया प्रतिबंध लगाया है?

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क्या अमेरिका ने ईरान के तेल व्यापार पर नया प्रतिबंध लगाया है?

सारांश

अमेरिका ने ईरान के तेल व्यापार पर कठोर कदम उठाए हैं। इस कार्रवाई में भारतीय कंपनियाँ और कारोबारी भी शामिल हैं। जानिए इसके पीछे की वजह और इसके संभावित परिणाम।

Key Takeaways

  • अमेरिका ने ईरान के तेल व्यापार पर नए प्रतिबंध लगाए हैं।
  • भारतीय कंपनियाँ इस प्रतिबंध की जद में आई हैं।
  • ट्रेजरी विभाग ने ईरानी मिलिट्री को फंड देने वाली कंपनियों को लक्षित किया है।

वाशिंगटन, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका ने ईरान के खिलाफ तेल व्यापार में सख्ती दिखाई है। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के अनुसार, अमेरिका ने ईरान के प्रमुख ऑयल नेटवर्क पर कई प्रतिबंध लगाए हैं। इस प्रक्रिया में भारतीय कंपनियों और व्यापारियों को भी निशाना बनाया गया है।

ट्रेजरी विभाग के मुताबिक, प्रतिबंधित कंपनियों की सूची में एक भारतीय फर्म भी शामिल है। अमेरिका तेहरान की तेल लॉबी के खिलाफ अपनी मुहिम को तेज कर रहा है। ये कार्रवाई उन लॉबी के खिलाफ हो रही है, जिन्हें ईरानी मिलिट्री को वित्तीय सहायता मिल रही है।

ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा, "आज की कार्रवाई ईरानी सरकार के न्यूक्लियर हथियार बनाने और आतंकवादियों की प्रॉक्सी को समर्थन देने के लिए फंडिंग रोकने के ट्रेजरी के अभियान को जारी रखती है।"

अमेरिकी विभाग ने कहा, "आज अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ द ट्रेजरी का ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल (एएफएसी) उन फ्रंट कंपनियों और शिपिंग फैसिलिटेटर्स के नेटवर्क पर रोक लगा रहा है, जो कच्चे तेल की बिक्री करके ईरानी सशस्त्र बलों को फंड देते हैं। इजरायल के साथ 12-दिन के युद्ध में हार के बाद, ईरान की मिलिट्री अपनी वार्षिक बजट को सप्लीमेंट करने के लिए ईरानी कच्चे तेल की बिक्री पर अधिक निर्भर हो गई है।

ट्रेजरी सेक्रेटरी ने कहा, "आज की कार्रवाई ईरानी सरकार के न्यूक्लियर हथियारों के विकास और आतंकवादियों को समर्थन देने के लिए फंडिंग रोकने के ट्रेजरी के अभियान को जारी रखती है। ईरानी सरकार के राजस्व में रुकावट डालना उसके परमाणु हथियार बनाने के सपने को रोकने में सहायता करेगा।"

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने बताया कि ओएफएसी छह जहाजों को भी लक्ष्य बना रहा है, जिन पर ईरान अपने तेल निर्यात को बाजार तक पहुंचाने के लिए निर्भर है। इससे टैंकरों के शैडो फ्लीट पर रोक बढ़ रही है। ट्रंप ने ईरानी पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों की शिपिंग के लिए जिम्मेदार 170 से ज्यादा जहाजों पर प्रतिबंध लगाया है। इससे ईरानी तेल निर्यातकों की लागत बढ़ गई है और ईरान को बेचे गए हर बैरल तेल से मिलने वाला राजस्व कम हो गया है।

ईरान की महान एयरलाइंस कंपनी पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, क्योंकि यह पूरे मध्य पूर्व में ईरान के समर्थन वाले आतंकवादी समूहों को हथियार और सामग्रियाँ प्रदान करने के लिए इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स-कुद्स फोर्स के साथ मिलकर काम कर रही है। इसके अलावा, सेपेहर एनर्जी जहान नामा पारस कंपनी पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

भारतीय फर्म आरएन शिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। अमेरिका ने आरोप लगाया है कि इस फर्म ने सेपेहर एनर्जी जहान नामा पारस कंपनी के लिए ईरानी तेल ले जाने वाले जहाज चलाए थे। यह कंपनी ईरान की सेना से जुड़ी एक प्रतिबंधित कंपनी है।

भारतीय कंपनी के निदेशक, जैर हुसैन इकबाल हुसैन सईद और ज़ुल्फिकार हुसैन रिजवी सईद को भी उनके कथित तौर पर शामिल होने के लिए लक्षित किया गया था।

आरएन शिप मैनेजमेंट, यूएई, पनामा, जर्मनी, ग्रीस और गाम्बिया की उन बढ़ती हुई फर्मों की सूची में शामिल हो गई है जिन पर ईरान की सेना से जुड़ी तेल गतिविधियों को मटीरियल सपोर्ट देने का आरोप है।

Point of View

इससे भारतीय कंपनियों की स्थिति पर भी असर पड़ सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें भारत को अपने व्यापारिक हितों की रक्षा करनी होगी।
NationPress
21/11/2025

Frequently Asked Questions

अमेरिका ने ईरान के खिलाफ किस प्रकार के प्रतिबंध लगाए हैं?
अमेरिका ने ईरान के तेल व्यापार पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें भारतीय कंपनियाँ भी शामिल हैं।
क्या भारतीय कंपनियां इस प्रतिबंध से प्रभावित होंगी?
हाँ, अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारतीय कंपनियों को भी नुकसान हो सकता है।
इस कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य क्या है?
अमेरिका का मुख्य उद्देश्य ईरान की सैन्य क्षमताओं को कमजोर करना और उसके परमाणु कार्यक्रम को रोकना है।
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