क्या एएमएमए में श्वेता मेनन और कुक्कू परमेश्वरन का जलवा है?

सारांश
Key Takeaways
- श्वेता मेनन और कुकू परमेश्वरन ने एएमएमए के चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
- महिलाएँ अब एएमएमए में प्रमुख पदों पर हैं।
- 298 सदस्यों ने चुनाव में भाग लिया।
- यह चुनाव समाज में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
- नए पदाधिकारियों की पहली बैठक जल्द ही होगी।
कोच्चि, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की अभिनेत्रियाँ श्वेता मेनन और कुकू परमेश्वरन ने एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स (एएमएमए) का चुनाव जीतकर एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। इस चुनाव में श्वेता मेनन ने अध्यक्ष और कुकू परमेश्वरन ने महासचिव की जिम्मेदारी संभाली है।
यह संगठन लगभग 30 वर्ष पुराना है, और यह पहली बार है जब इसकी प्रमुख भूमिकाएँ महिलाओं ने संभाली हैं। इससे पहले, महिलाएँ केवल सहायक पदों (जैसे उपाध्यक्ष, संयुक्त सचिव या समिति की सदस्य) तक सीमित थीं।
इस चुनाव में मेनन ने बीजेपी नेता और अभिनेता देवन को कड़ी टक्कर में हराया। मेनन को 159 वोट मिले, जबकि देवन को 132 वोट मिले। वहीं, परमेश्वरन ने अपने प्रतिद्वंद्वी रविंद्रन को भी अधिक वोटों से हराया; उन्हें 172 वोट मिले, जबकि रविंद्रन को 115 वोट मिले।
नए पदाधिकारियों में जयन चेरथला और लक्ष्मी प्रिया को उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया है, जबकि उन्नी शिवपाल को कोषाध्यक्ष और अंजीबा हसन को बिना किसी विरोध के संयुक्त सचिव बनाया गया है।
समिति के अन्य सदस्यों में शारायु, अंजलि नायर, आशा अरविंद, सजीथा, नीना कुरुप, जॉय मैथ्यू, कैलास, नंदू, डॉ. रॉनी, सिजॉय, विनु, टाइनी टॉम और संतोष शामिल हैं।
यह आश्चर्यजनक है कि हार के बावजूद देवन ने नए चुने गए सदस्यों को शपथ दिलाई।
श्वेता मेनन ने चुनाव जीतने के बाद धन्यवाद देते हुए अपनी योजनाओं का खुलासा किया। उन्होंने कहा, "अब चुनाव खत्म हो चुका है, अब हम सभी मिलकर 'एएमएमए' सदस्यों के साथ काम करेंगे। आवश्यकता होने पर, मैं स्वयं उन सदस्यों से मिलूंगी जो दूरियाँ बनाए हुए हैं। हमारी पहली बैठक जल्द ही होगी, जिसमें सभी लंबित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।"
गौरतलब है कि (एएमएमए) संगठन के 500 से अधिक सदस्यों में से 298 लोगों ने वोटिंग में हिस्सा लिया। चुनाव से पहले भी काफी हलचल देखने को मिली थी। दिग्गज अभिनेता जगदीश ने पहले अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया था, लेकिन श्वेता की रुचि जानकर उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। इसके बाद देवन ने भी यह कहते हुए चुनावी मैदान में कदम रखा कि संगठन के हित में एक महिला को चुनाव लड़ना चाहिए।