क्या अमृतसर में किसानों की समस्याओं के समाधान की मांग उठाई गई है?

सारांश
Key Takeaways
- किसानों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता होनी चाहिए।
- बाढ़ से प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए।
- डल्लेवाल ने खरीद प्रणाली में सुधार की मांग की है।
- पराली जलाने के मुद्दे पर सरकार को विकल्प प्रदान करने चाहिए।
- किसानों की आवाज सुनने की जरूरत है।
अमृतसर, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बुधवार को जिला मुख्यालय पर प्रशासन को एक हस्तलिखित मांगपत्र प्रस्तुत किया और किसानों की लंबित एवं गंभीर समस्याओं के त्वरित समाधान की अपील की।
डल्लेवाल के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि पंजाब सहित अन्य राज्यों में हाल की बाढ़ ने किसानों को भारी नुकसान पहुँचाया है, ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारें राहत राशि को बढ़ाकर प्रभावी ढंग से वितरित करें।
मांगपत्र में उल्लेख किया गया है कि बाढ़ से प्रभावित किसानों को प्रति एकड़ कम से कम 1 लाख रुपए की राहत राशि दी जाए। इसके साथ ही, जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उन्हें 25 लाख रुपए, मलबा हटाने के लिए 10 लाख रुपए, और मिट्टी भरकर खराब हुई भूमि की बहाली हेतु प्रति गड्ढा या किल्ला 1 लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग की गई है। पशुओं के नुकसान पर 1 लाख रुपए का मुआवजा भी प्रस्तावित किया गया है।
डल्लेवाल ने खरीद प्रणाली में गड़बड़ियों को लेकर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि कई मंडियों में झोने की तौल और मीटरिंग में धोखाधड़ी हो रही है, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ व्यापारी और आढ़ती व्यक्तिगत रूप से झोने खरीदकर बाद में सरकारी रिकॉर्ड में दिखाकर अवैध लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने इन गतिविधियों की तत्काल जांच और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
पराली जलाने के मुद्दे पर डल्लेवाल ने कहा कि कटाई और बुवाई के बीच का समय बहुत कम होता है, जिससे किसान मजबूरी में पराली जलाते हैं। सरकारों को किसानों पर सख्ती करने के बजाय विकल्प और प्रोत्साहन देने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पराली जलाने के मामलों में किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी यह माना है कि कृषि प्रदूषण का मुख्य कारण नहीं है। इसका सही डेटा कोर्ट में पेश किया जाना चाहिए।
मांगपत्र में डीएपी खाद की आपूर्ति में गड़बड़ी का विरोध भी किया गया है। किसानों ने कहा कि उन्हें आवश्यकता के अनुसार उर्वरक उपलब्ध कराया जाए और अनियमित वितरण पर कार्रवाई हो। इसके अलावा, गन्ना किसानों के बकाया भुगतान, 450 रुपए प्रति क्विंटल दर की अधिसूचना जारी करने और चीनी मिलों को समय पर चालू करने की भी मांग की गई।
डल्लेवाल ने चेतावनी दी कि यदि सरकार इन मांगों पर शीघ्र कदम नहीं उठाती है, तो उन्हें अगले आंदोलन चरण की घोषणा करनी पड़ेगी।
उन्होंने प्रशासन और राज्य सरकार से अनुरोध किया कि वे वास्तविक स्थिति का आकलन करें और किसानों को न्याय एवं राहत सुनिश्चित करें।