क्या अफ्रीकी देश अंगोला में चीन विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए हैं?

सारांश
Key Takeaways
- अंगोला में ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
- चीन की बढ़ती भूमिका के खिलाफ जनता में असंतोष है।
- हिंसा के कारण 90 से अधिक दुकानों को नुकसान पहुँचा है।
- सरकार की नीतियों पर जनता की नाराजगी बढ़ रही है।
- हजारों चीनी नागरिक देश छोड़ चुके हैं।
लुआंडा, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अफ्रीकी देश अंगोला में ईंधन की बढ़ती कीमतों के खिलाफ टैक्सी चालकों द्वारा प्रारंभ किया गया स्थानीय विरोध प्रदर्शन अब एक हिंसक रूप धारण कर चुका है, जो चीन विरोधी अशांति का कारण बन गया है। 'डेली मॉनिटर' की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस हिंसा ने देश की राजनीतिक और आर्थिक नींव को हिला दिया है।
रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि इस संघर्ष के दौरान 90 से अधिक खुदरा दुकानों को नुकसान पहुँचा और कई चीनी संचालित फैक्ट्रियों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस दौरान कम से कम 5 लोगों की जान गई और 1,200 से अधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। हिंसा के कारण हजारों चीनी नागरिकों ने देश छोड़ दिया, जिसके चलते उड़ानों में भारी भीड़ देखी गई और चीनी दूतावासों ने आपातकालीन चेतावनियाँ जारी कीं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह विरोध केवल आर्थिक मुद्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह चीन की अंगोला में बढ़ती भूमिका और देश में बढ़ती असमानता के खिलाफ गहरी नाराजगी का भी संकेत है। चीन की उपस्थिति ने स्थानीय लोगों में असंतोष पैदा किया है, क्योंकि चीनी निवेश ने बुनियादी ढांचे, खुदरा व्यापार और विनिर्माण के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया है।
ईकोडिमा, अंगोला के वाणिज्य संघ के अनुसार, सात प्रमुख चीनी खुदरा दुकानों को लूट लिया गया और एक चीनी ब्रांड की 72 बिक्री इकाइयों पर भी हमला हुआ। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा गया कि चीनी दुकानदार दुकानों के अंदर खुद को बंद कर रहे थे, जबकि बाहर भीड़ लूटपाट और तोड़फोड़ कर रही थी। औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित चीनी कारखानों को तुरंत बंद कर दिया गया, और सुरक्षा कारणों से कर्मचारियों को भागना पड़ा।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रपति जोआओ लोरेन्सो की सरकार इस संकट को संभालने में कठिनाइयों का सामना कर रही है। सरकार ने हिंसा की निंदा की है, लेकिन ईंधन मूल्य वृद्धि को लेकर उसकी नीति और आम जनता की समस्याओं के प्रति उदासीनता की भी आलोचना हो रही है।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार की नाकामी सस्ती परिवहन व्यवस्था और मूलभूत सेवाएं उपलब्ध कराने में इस व्यापक असंतोष का प्रमुख कारण है।