क्या अयोध्या मेडिकल कॉलेज का यह अनोखा फरमान अनुशासन सिखाने में मदद करेगा?
सारांश
Key Takeaways
- अनुशासन सिखाने का अभिनव तरीका।
- मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव।
- छात्रों को संस्कारों के प्रति जागरूक करना।
- धर्म की बाध्यता नहीं।
- छात्रों की सकारात्मक प्रतिक्रिया।
अयोध्या, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। शिक्षा के मंदिरों में अनुशासन सिखाने के लिए अनेक तरीके अपनाए जाते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के अयोध्या के राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज ने छात्रों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने का एक अनोखा उपाय निकाला है। कॉलेज प्रशासन ने निर्णय लिया है कि यदि कोई छात्र या छात्रा पढ़ाई या कॉलेज परिसर में कोई गलती करता है, तो उसे सजा के रूप में अपनी कॉपी में ‘राम राम’ लिखना होगा।
कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. सत्यजीत वर्मा ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "अक्सर देखा गया है कि अनुशासनहीनता या गलती करने पर जब छात्रों को कठोर दंड दिया जाता है, तो उसका नकारात्मक असर उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। इससे कई बार छात्र अपने स्वाभाविक व्यवहार से विमुख हो जाते हैं। ऐसे में छात्रों में संस्कारों के प्रति जागरूकता लाने और दंड को सकारात्मक दिशा देने के उद्देश्य से यह पहल शुरू की गई है।"
प्रधानाचार्य ने कहा, “हमारा उद्देश्य किसी परंपरा को थोपना नहीं, बल्कि छात्रों को अपने भीतर की शांति और अनुशासन से जोड़ना है। गलती के बदले ‘राम नाम’ लिखने से न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि छात्र अपने संस्कार और संस्कृति के भी करीब आते हैं।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसमें किसी धर्म की बाध्यता नहीं है; जो छात्र जिस धर्म को मानता है, वह उसी के अनुसार नाम लिख सकता है। कोई ‘राम नाम’ लिखे, कोई ‘राधा नाम’, या कोई अपने ईश्वर का नाम लिखे, यह उनकी श्रद्धा पर निर्भर है।
प्रधानाचार्य ने बताया कि शुरुआत में यह कदम उन्होंने कुछ छात्रों को मजाक में सुझाया था, लेकिन बाद में छात्रों ने इसे सकारात्मक रूप से अपनाया। अब तक चार से पांच छात्रों ने ‘राम नाम’ लिखकर अपनी कॉपियां जमा की हैं।
कॉलेज प्रशासन का मानना है कि इस अनोखे प्रयोग से छात्रों में न केवल अनुशासन की भावना बढ़ेगी, बल्कि वे संस्कारों और आत्मसंयम के मूल्य भी सीखेंगे। अयोध्या के इस मेडिकल कॉलेज का यह कदम अब चर्चा का विषय बन गया है, जहां संस्कारों के माध्यम से अनुशासन सिखाने की एक नई पहल की गई है।
उन्होंने कहा कि इससे शुरू करने की योजना नहीं थी, लेकिन बच्चे अच्छा कर रहे हैं, तो इसे आगे भी शुरू किया जाएगा। शिक्षकों को साफ निर्देश दिया गया है कि किसी भी बच्चे को लिखने के लिए बाध्य न करें।