क्या बदहजमी से परेशान हैं? इन आयुर्वेदिक उपायों से पाएँ परमानेंट छुटकारा

सारांश
Key Takeaways
- बदहजमी पाचन में असंतुलन का संकेत है।
- आयुर्वेदिक उपाय जैसे अजवाइन और नींबू मददगार होते हैं।
- तनाव और गलत खान-पान को टालना आवश्यक है।
- भोजन के बाद हल्की सैर करने से पाचन में सुधार होता है।
- गुनगुना पानी पीना पाचन अग्नि को दुरुस्त रखता है।
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कई बार ऐसा अनुभव होता है कि भोजन के बाद पेट में भारीपन महसूस होता है, डकारें बार-बार आती हैं या ऐसा लगता है जैसे खाना गले में अटक गया हो। यदि यह स्थिति बनी रहती है, तो यह संकेत है कि आपको बदहजमी का सामना करना पड़ रहा है। यह सामान्य सी समस्या वास्तव में शरीर की पाचन प्रणाली में असंतुलन का प्रतीक है।
आयुर्वेद में इस स्थिति को अजीर्ण कहा जाता है। जब पाचन अग्नि कमजोर होती है और भोजन ठीक से नहीं पचता, तो पेट में भारीपन, गैस, डकारें, मितली या सिरदर्द जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। यह स्थिति सामान्य दोष, अर्थात अधपचा भोजन, के कारण होती है, जो धीरे-धीरे शरीर में विष का रूप धारण कर सकती है और कई बीमारियों का कारण बन सकती है।
बदहजमी के प्रमुख कारणों में जल्दी या देर से खाना, तला-भुना और मसालेदार भोजन, रात में देर से खाना, तनाव और चिंता, पर्याप्त पानी न पीना या ठंडा पानी पीना शामिल हैं। आधुनिक जीवनशैली और व्यस्त दिनचर्या भी पाचन तंत्र को प्रभावित करती है, जिससे यह समस्या आम होती जा रही है।
इससे राहत पाने के लिए कुछ सरल और प्रभावी घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं। अजवाइन और काला नमक एक उत्कृष्ट विकल्प है। एक चम्मच अजवाइन में एक चुटकी काला नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लेने से गैस, डकार और पेट का भारीपन तुरंत कम होता है।
नींबू और अदरक का मिश्रण भी पाचन को तेज करता है। एक चम्मच अदरक का रस, आधा नींबू और एक चुटकी सेंधा नमक भोजन से पहले लेने से पेट की अग्नि सक्रिय रहती है और भोजन आसानी से पचता है। हरड़ रात को सोने से पहले लेने से पाचन में सुधार होता है और पेट के आम दोष को बाहर निकालता है।
पुदीना और तुलसी की चाय पेट की जलन, भारीपन और मरोड़ को शांत करती है, वहीं हींग का पानी गैस और अपच में तुरंत राहत देता है। भोजन के बाद छाछ में भुना जीरा और काला नमक डालकर पीना भी पेट के लिए लाभकारी है।
इसके अतिरिक्त, भोजन के बाद हल्की सैर करना, भोजन के बीच में पानी नहीं पीना बल्कि 30 मिनट बाद पीना, रात का हल्का और जल्दी खाना, और सुबह गुनगुना पानी पीना पाचन अग्नि को दुरुस्त रखने में मदद करता है।