क्या बांग्लादेश में फरवरी 2026 में आम चुनाव होंगे? कानूनी सलाहकार का दावा

सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में आम चुनाव फरवरी 2026 में होने की पुष्टि।
- मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने पहले ही समयसीमा घोषित की थी।
- राजनीतिक दलों के बयान अक्सर बदलते रहते हैं।
- चुनाव को लेकर सुधारों की आवश्यकता पर जोर।
- कोई भी राजनीतिक दल तब तक सत्ता में नहीं आ सकता जब तक उसके संकल्प पूरे नहीं होते।
ढाका, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कानून सलाहकार असीफ नजरुल ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि देश में आम चुनाव फरवरी 2026 में ही होंगे, जैसा कि मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस पहले ही घोषणा कर चुके हैं।
नजरुल ने कैबिनेट डिवीजन की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “हम सरकार की ओर से पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। हमारे सर (मुख्य सलाहकार) ने स्वयं यह समयसीमा घोषित की है और इससे पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है।”
चुनाव को लेकर बनी असमंजस की स्थिति पर उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार फरवरी में ही चुनाव कराने के लिए दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने कहा, “यही हमारे दिमाग में है और वही होगा।”
नजरुल के अनुसार, राजनीतिक दल अक्सर अपने हितों के लिए बयान बदलते रहते हैं और यह परंपरा बांग्लादेश की राजनीति में हमेशा से रही है। इसलिए चुनाव की समयसीमा को लेकर विभिन्न दलों के बयान भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा माने जाने चाहिए।
उधर, पिछले हफ्ते नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) के मुख्य समन्वयक नसीरुद्दीन पटवारी ने कहा था कि जब तक सुधार पूरे नहीं होते, तब तक फरवरी में चुनाव कराना संभव नहीं है। उन्होंने ढाका के फार्मगेट स्थित कृषिबिद संस्थान में अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आयोजित नेशनल यूथ कॉन्फ्रेंस में यह बयान दिया था।
पटवारी ने कहा था, “अगर सुधार पूरे किए बिना चुनाव कराए जाते हैं, तो इस सरकार को कब्रिस्तान जाना होगा और मेरे उन भाइयों की लाशें लौटानी होंगी, जिन्होंने सुधारों के लिए अपनी जान दी और खून बहाया।”
कार्यक्रम में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के संयुक्त सचिव जनरल शाहिद उद्दीन चौधरी एनी और कट्टरपंथी इस्लामी दल जमात-ए-इस्लामी के नेता अब्दुल्ला मोहम्मद ताहेर भी मौजूद थे।
वहीं, एनसीपी संयोजक नाहिद इस्लाम ने कहा कि उनकी पार्टी ने जुलाई घोषणा में रियायतें दी थीं, लेकिन जुलाई चार्टर में “बिल्कुल भी समझौता” नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “समीकरण अभी पूरा नहीं हुआ है। जो लोग सोचते हैं कि उन्होंने इसे समझ लिया है, वे गलत हैं। हमने पिछले साल और जुलाई घोषणा में समझौता किया था, लेकिन जुलाई चार्टर पर एक प्रतिशत भी रियायत नहीं देंगे। हम चुनाव चाहते हैं, लेकिन बदलाव के साथ। जुलाई चार्टर पर कोई समझौता नहीं होगा और कोई भी राजनीतिक दल सत्ता में तब तक नहीं आ सकता, जब तक उसके संकल्प पूरे नहीं होते।”