क्या यूपी विधानसभा के बाहर मंत्री ने छात्रों से की महत्वपूर्ण चर्चा?

सारांश
Key Takeaways
- बच्चों की जिज्ञासाओं का सम्मान
- सरकार की नई नीतियों पर चर्चा
- जर्जर स्कूल भवनों के सुधार की प्रक्रिया
- पाठ्यक्रम में सुधार की दिशा
- आरक्षण की स्थिरता
लखनऊ, 13 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर, वृन्दावन से विधानसभा पहुंचे छात्र बुधवार को बेहद उत्साहित हो गए, जब बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने उनके प्रश्नों का धैर्यपूर्वक और स्पष्टता से उत्तर दिया। विधानसभा की कार्यवाही और संसदीय बारीकियों से अवगत होने आए बच्चों की आंखों में भविष्य के प्रति गहरी जिज्ञासा थी, जबकि मंत्री संदीप सिंह के शब्दों में समाधान की स्पष्टता झलक रही थी। उनके सौम्य व्यवहार ने छात्रों के चेहरों पर आश्वस्ति का भाव स्पष्ट रूप से दिखाया।
बातचीत में मंत्री संदीप सिंह ने बच्चों की हर जिज्ञासा को शांत किया और उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी सोच, प्रश्न और सपनों को सरकार गंभीरता से सुन रही है और उस पर काम कर रही है।
जब परिषदीय विद्यालयों के पाठ्यक्रम से संबंधित सवाल उठे, तो मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि पाठ्यक्रम तैयार करने का कार्य भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय का है, जहां विशेषज्ञ इस पर काम करते हैं। पहले हम एससीईआरटी के माध्यम से पाठ्यक्रम बनाते थे, लेकिन अब एनसीईआरटी को फॉलो किया जा रहा है। परिषदीय विद्यालयों के बच्चे भी अब एनसीईआरटी के मानक पाठ्यक्रम से पढ़ रहे हैं।
जर्जर स्कूल भवन और मर्जर पर सवाल उठने पर मंत्री ने छात्रों को बताया कि किसी भी स्कूल को बंद नहीं किया गया है। जर्जर भवनों को तोड़कर नए स्कूल बनाने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही सभी जर्जर विद्यालय नए रूप में नजर आएंगे।
एक छात्र ने मुगलों के इतिहास को पढ़ने के साथ-साथ जिले के इतिहास और स्थानीय महान व्यक्तित्वों की जानकारी पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की। इस पर मंत्री ने कहा कि हम जिलावार इतिहास और व्यक्तित्व पर आधारित एक किताब तैयार कर रहे हैं, जिसे जल्द ही कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को पढ़ाया जाएगा। भविष्य में इसे पाठ्यक्रम में भी जोड़े जाने की योजना है।
आरक्षण के विषय पर उन्होंने स्पष्ट किया कि आरक्षण राष्ट्रीय स्तर की नीति है, जिसे कोई भी राज्य नहीं बदल सकता। हम इसके मानकों का पूरी तरह पालन कर रहे हैं।
नई शिक्षा नीति से जुड़े सवाल पर मंत्री ने बताया कि कक्षा एक में प्रवेश के लिए बच्चे की न्यूनतम आयु छह वर्ष तय की गई है। इससे पहले उसे प्री-प्राइमरी में पढ़ाया जाएगा, ताकि वह पहली कक्षा में जाने के लिए तैयार हो सके।
विभिन्न बोर्डों के आसान व यूपी बोर्ड के कठिन प्रश्न-पत्रों पर उठे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पेपर बनाने का कार्य समिति करती है, इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता।