क्या बस्तर दशहरा: 700 साल पुरानी परंपरा के साथ महापर्व शुरू हो गया?

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क्या बस्तर दशहरा: 700 साल पुरानी परंपरा के साथ महापर्व शुरू हो गया?

सारांश

बस्तर दशहरा, एक अद्वितीय महापर्व, जिसकी परंपरा लगभग 700 साल पुरानी है, रविवार रात से शुरू हुआ। काछन गादी रस्म के साथ इसकी शुरुआत हुई। इस रस्म में एक कुंवारी कन्या बस्तर राजपरिवार को दशहरा प्रारंभ करने की अनुमति देती है।

Key Takeaways

  • बस्तर दशहरा 700 साल पुरानी परंपरा का प्रतीक है।
  • काछन गादी रस्म में एक कुंवारी कन्या की भूमिका होती है।
  • यह पर्व 75 दिनों तक चलता है।
  • बस्तर दशहरा सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
  • इस पर्व में 12 से अधिक रस्में निभाई जाती हैं।

जगदलपुर, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अपनी विशिष्ट और आकर्षक परंपराओं के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध बस्तर का महापर्व दशहरा रविवार रात से प्रारंभ हो गया। 75 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव की शुरुआत काछन गादी की विशेष रस्म से हुई, जो लगभग 700 साल पुरानी है।

यह परंपरा आज भी पूर्ण आस्था और श्रद्धा के साथ निभाई जाती है। इस रस्म में अनुसूचित जाति के एक विशेष परिवार की नाबालिग कुंवारी कन्या कांटों से बने झूले पर लेटकर बस्तर राजपरिवार को दशहरा प्रारंभ करने की अनुमति देती है।

मान्यता है कि इस कन्या में स्वयं काछनदेवी का प्रवेश होता है, जो महापर्व को निर्बाध संपन्न कराने का आशीर्वाद देती हैं। इस वर्ष 10 साल

काछन गुड़ी परिसर में आयोजित इस अनूठी रस्म को देखने बस्तर राजपरिवार, स्थानीय जनप्रतिनिधि और हजारों श्रद्धालु पहुंचे।

बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने बताया कि हर साल नवरात्रि से एक दिन पहले पितृमोक्ष अमावस्या को काछन गादी रस्म निभाकर राजपरिवार दशहरा मनाने की अनुमति प्राप्त करता है। इस दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ हजारों लोग इस परंपरा का साक्षी बनने काछन गुड़ी पहुंचते हैं।

उन्होंने कहा कि बस्तर दशहरा अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। यह पर्व 75 दिनों तक चलता है और इसमें 12 से अधिक रस्में निभाई जाती हैं, जो अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए जानी जाती हैं।

बस्तर दशहरा न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। इस पर्व में शामिल होने के लिए न केवल देश, बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में सैलानी जगदलपुर पहुंचते हैं।

काछन गादी के बाद आने वाली रस्मों में मां दंतेश्वरी की पूजा, रथ यात्रा, मुरिया दरबार और जोगी बिठाई जैसी परंपराएं शामिल हैं, जो बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हैं। ये रस्में स्थानीय आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

बस्तर दशहरा का आकर्षण इसकी अनूठी परंपराओं और सामुदायिक सहभागिता में निहित है। यह पर्व न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि बस्तर की सांस्कृतिक पहचान को विश्व पटल पर उजागर करता है।

स्थानीय लोगों का मानना है कि यह महापर्व क्षेत्र में सुख, समृद्धि और शांति लाता है। इस वर्ष भी बस्तर दशहरा अपनी भव्यता और परंपराओं के साथ पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है।

Point of View

एक प्राचीन पर्व है जो न केवल धार्मिकता का प्रतीक है बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को भी प्रदर्शित करता है। यह पर्व, देश और विदेश से सैलानियों को आकर्षित करता है, जो बस्तर की समृद्ध परंपराओं का अनुभव करना चाहते हैं।
NationPress
21/09/2025

Frequently Asked Questions

बस्तर दशहरा की परंपरा कब शुरू हुई?
बस्तर दशहरा की परंपरा लगभग 700 साल पहले शुरू हुई।
काछन गादी रस्म क्या है?
काछन गादी रस्म में एक नाबालिग कुंवारी कन्या बस्तर राजपरिवार को दशहरा प्रारंभ करने की अनुमति देती है।
बस्तर दशहरा कितने दिनों तक चलता है?
यह महापर्व 75 दिनों तक चलता है।
क्या बस्तर दशहरा केवल धार्मिक पर्व है?
नहीं, यह सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है।
कौन-कौन सी रस्में बस्तर दशहरा में शामिल हैं?
इसमें मां दंतेश्वरी की पूजा, रथ यात्रा, मुरिया दरबार और जोगी बिठाई जैसी रस्में शामिल हैं।