क्या बंगाल में बीएलओ की आत्महत्या ने चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा किया?
सारांश
Key Takeaways
- बीएलओ की आत्महत्या ने चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा किया है।
- मुख्यमंत्री ने आयोग पर दबाव का आरोप लगाया है।
- पुलिस ने मृतका की पहचान की पुष्टि की है।
- आयोग ने मामले की जांच के लिए रिपोर्ट मांगी है।
- यह घटना चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाती है।
कोलकाता, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी के जिला मजिस्ट्रेट (जो जिला निर्वाचन अधिकारी भी हैं) से उसी जिले के माल बाजार क्षेत्र में एक महिला बूथ-स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) की आत्महत्या पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया के माध्यम से एक सख्त बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने बीएलओ की आत्महत्या के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया। इसके कुछ ही घंटों बाद, आयोग ने रिपोर्ट की मांग की।
सीएम ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि बीएलओ पर आयोग द्वारा केवल दो महीनों में संशोधन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए भारी दबाव डाला गया था। इस दबाव का पहला शिकार माल बाजार की महिला अधिकारी बनीं।
चुनाव आयोग के निर्देश पर पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल ने बुधवार दोपहर जलपाईगुड़ी के जिला चुनाव अधिकारी को इस मामले में तात्कालिक रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया।
सीईओ कार्यालय के एक सूत्र ने पुष्टि की, "सीईओ को रिपोर्ट मिलने के बाद, वह इसे नई दिल्ली स्थित चुनाव आयोग के मुख्यालय में भेज देंगे।"
यह आत्महत्या तब हुई है जब चुनाव आयोग की चार सदस्यीय केंद्रीय टीम राज्य में एसआईआर की प्रगति की समीक्षा के लिए चार दिवसीय दौरे पर है।
मृतक बीएलओ के परिवार ने आरोप लगाया है कि एसआईआर के कार्य का दबाव न सह पाने के कारण उसने आत्महत्या का निर्णय लिया। पुलिस के अनुसार मृतका की पहचान माल बाजार के रंगामाटी पंचायत की निवासी शांतिमणि एक्का के रूप में हुई है।
उन्हें हाल ही में एसआईआर के कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बीएलओ होने के नाते, वह घर-घर जाकर गणना फॉर्म वितरित कर रही थीं और भरे हुए फॉर्म एकत्र कर रही थीं।