क्या सिद्धारमैया के पत्र का विप्रो चेयरमैन ने दिया जवाब?

सारांश
Key Takeaways
- बेंगलुरु में ट्रैफिक समस्या गंभीर है।
- अजीम प्रेमजी ने अध्ययन की आवश्यकता बताई।
- विप्रो सरजापुर कैंपस को खोलने पर असहमति।
- गंभीर समस्या का समाधान सामूहिक प्रयास से होगा।
- डेटा आधारित दृष्टिकोण आवश्यक है।
बेंगलुरु, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में बढ़ते ट्रैफिक जाम को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा भेजे गए पत्र का जवाब विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने दिया है। अपने पत्र में प्रेमजी ने मुख्यमंत्री की पहल की प्रशंसा करते हुए इस समस्या के समाधान के लिए एक ठोस और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी है।
प्रेमजी ने अपने पत्र में १९ सितंबर को प्राप्त सीएम के पत्र का धन्यवाद करते हुए लिखा, "हम विप्रो द्वारा कर्नाटक के विकास में दिए गए योगदान के लिए आपके सम्मान और सराहना के लिए आभारी हैं। बेंगलुरु, खासकर आउटर रिंग रोड, जो एक निर्यात-उन्मुख आर्थिक केंद्र है, वहां ट्रैफिक की स्थिति वाकई बेहद गंभीर है और इसके लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।"
उन्होंने कहा कि यह समस्या कई कारणों से उत्पन्न हुई है, इसलिए किसी एक उपाय से समाधान संभव नहीं है। इसके लिए एक वैज्ञानिक और व्यापक अध्ययन की आवश्यकता है, जिसे विश्वस्तरीय शहरी परिवहन प्रबंधन में विशेषज्ञ संस्था के नेतृत्व में किया जाना चाहिए।
प्रेमजी ने कहा, "हम इस अध्ययन की लागत का एक बड़ा हिस्सा वहन करने के लिए तैयार हैं और इसमें भागीदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
सीएम के उस सुझाव पर, जिसमें विप्रो के सरजापुर कैंपस को सार्वजनिक वाहन आंदोलन के लिए खोले जाने की बात थी, प्रेमजी ने विनम्रता से असहमति जताई।
उन्होंने कहा कि यह संपत्ति एक सूचीबद्ध कंपनी की निजी संपत्ति है और एक स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एसईजेड) के रूप में कार्य करती है। इसमें वैश्विक ग्राहकों के साथ संविदात्मक शर्तें जुड़ी हुई हैं, जिनमें सख्त और गैर-लचीलापन वाला सुरक्षा प्रबंधन अनिवार्य है।
उन्होंने लिखा, "कानूनी और संचालन संबंधी जटिलताएं ऐसी हैं कि इस निजी परिसर को सार्वजनिक मार्ग के रूप में उपयोग करना न तो व्यावहारिक है और न ही दीर्घकालिक समाधान के तौर पर टिकाऊ।"
प्रेमजी ने कहा कि विप्रो, बेंगलुरु की ट्रैफिक समस्याओं के दीर्घकालिक समाधान के लिए कर्नाटक सरकार के साथ सहयोग के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि डेटा और सहभागिता आधारित दृष्टिकोण ही इस समस्या के लिए सबसे प्रभावशाली समाधान प्रदान कर सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि उनकी टीम की अगुवाई रेशमी शंकर कर रही हैं, जो इस मामले में सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए उपलब्ध हैं।