क्या भारतीय पीएसयू बन गए हैं वेल्थ क्रिएटर्स? बीते पांच वर्षों में 57 लाख करोड़ रुपए बढ़ा मार्केटकैप

सारांश
Key Takeaways
- पीएसयू का मार्केटकैप 69 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचा।
- आय में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- बीएसई पीएसयू इंडेक्स में भी 32 प्रतिशत की वृद्धि।
- बीएफएसआई सेगमेंट का मुनाफे में योगदान 38 प्रतिशत।
- घाटे में चल रही पीएसयू की हिस्सेदारी 1 प्रतिशत।
नई दिल्ली, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) का बाजार पूंजीकरण पिछले पांच वर्षों में 57 लाख करोड़ रुपए बढ़कर जून 2025 में 69 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो मार्च 2020 में केवल 12 लाख करोड़ रुपए था।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 20 से वित्त वर्ष 25 के बीच पीएसयू कंपनियों की आय 36 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ी है, जो कि निजी कंपनियों से अधिक है। इस दौरान, बीएसई पीएसयू इंडेक्स में भी 32 प्रतिशत की सीएजीआर से वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि वित्त वर्ष 25 में मंदी के बावजूद मुनाफे में वृद्धि जारी है। निष्कर्ष बताते हैं कि यह दशक भर लंबी रिकवरी स्टोरी बैलेंस शीट की सफाई, नीतिगत अनुकूलता और क्षेत्र-विशिष्ट संरचनात्मक बदलावों पर आधारित है।
रिपोर्ट के अनुसार, "रैली और अच्छे मुनाफे के कारण कुल मार्केटकैप में पीएसयू की हिस्सेदारी अब 15.3 प्रतिशत हो गई है, जबकि यह वित्त वर्ष 22 में 10.1 प्रतिशत थी।"
मार्केटकैप के साथ-साथ पीएसयू कंपनियों के मुनाफे में भी वृद्धि हुई है, जो वित्त वर्ष 25 में 5.3 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जबकि यह वित्त वर्ष 20 में केवल 1.2 लाख करोड़ रुपए था।
रिपोर्ट के अनुसार, "वित्त वर्ष 25 में बीएफएसआई का योगदान पीएसयू मुनाफे में 38 प्रतिशत रहा है, जबकि यह वित्त वर्ष 20 में केवल 7 प्रतिशत था।"
वहीं, वित्त वर्ष 20-25 के बीच सरकारी कैपिटल गुड्स कंपनियों के मुनाफे में 28 प्रतिशत के सीएजीआर से वृद्धि हुई है, जो कि डिफेंस और इन्फ्रा के ऑर्डर्स में पीएसयू की हिस्सेदारी बढ़ने के कारण है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि आने वाले दो वर्षों में पीएसयू के बढ़ने वाले मुनाफे में से 53 प्रतिशत का योगदान बीएफएसआई सेगमेंट से आने की उम्मीद है। घाटे में चल रही पीएसयू की हिस्सेदारी अब कुल लाभ पूल में केवल 1 प्रतिशत है, जो वित्त वर्ष 18 के आंकड़े 45 प्रतिशत से कम है।
रिपोर्ट के अनुसार, संरचनात्मक सुधार पीएसयू कंपनियों में आए बदलाव की मुख्य वजह है।