क्या आपने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मनाई?
सारांश
Key Takeaways
- भगवान बिरसा मुंडा ने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उनकी जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- अमित शाह, राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
- उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत है, विशेषकर जनजातीय समाज के लिए।
- इस जयंती का उद्देश्य आदिवासी समाज की विरासत का सम्मान करना है।
नई दिल्ली, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। धरती आबा के नाम से प्रसिद्ध भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर स्वतंत्रता आंदोलन और मातृभूमि की रक्षा के प्रति उनके अटूट संकल्प को नमन किया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा, "भगवान बिरसा मुंडा जी केवल जनजातीय समाज के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का प्रतीक हैं।"
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "आज पूरा देश हर्षोल्लास के साथ उनकी 150वीं जयंती और 'जनजातीय गौरव दिवस' मना रहा है। उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर स्वतंत्रता आंदोलन और मातृभूमि की रक्षा के प्रति उनके अटूट संकल्प को नमन किया।"
भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें नमन करते हुए कहा, "उनका जीवन केवल संघर्ष की कहानी नहीं है, बल्कि साहस, स्वाभिमान और जनजातीय समाज के अधिकारों के आंदोलन से जुड़ा एक ऐतिहासिक अध्याय है। आज उनकी जयंती पूरे देश में 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में मनायी जा रही है, जो उनकी और हमारे देश के आदिवासी समाज की विरासत का सम्मान है। भगवान बिरसा मुंडा का जीवन आने वाली पीढ़ियों को अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने और राष्ट्रहित तथा कर्तव्यपथ पर चलने के लिए निरंतर प्रेरणा देता रहेगा।"
केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। जेपी नड्डा ने कहा, "नई दिल्ली में 'धरती आबा, भगवान बिरसा मुंडा जी की 150वीं जन्मजयंती के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। अपने शौर्य और पराक्रम से जनजातीय समुदाय को संगठित कर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। 'जल, जंगल और जमीन' और जनजातीय अस्मिता की रक्षा के लिए भगवान बिरसा मुंडा जी का व्यक्तित्व और कृतित्व हम सभी के लिए प्रेरणादायी है।"