क्या भारत और संयुक्त राष्ट्र ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने के लिए चार प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की?

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क्या भारत और संयुक्त राष्ट्र ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने के लिए चार प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की?

सारांश

भारत और संयुक्त राष्ट्र ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने के लिए चार महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की है। यह पहल उन नौ साझेदार देशों में की गई है, जिनका उद्देश्य सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को प्राप्त करना है। जानिए इस पहल के बारे में और इसके संभावित प्रभावों को।

Key Takeaways

  • भारत और यूएन का सहयोग
  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग का महत्व
  • सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) की दिशा में कदम
  • नवीनतम तकनीकी और अनुभव साझा करना
  • साझेदार देशों का सशक्तिकरण

नई दिल्ली, २ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण-दक्षिण सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारत और संयुक्त राष्ट्र ने नौ साझेदार देशों में चार कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स के पहले चरण की शुरुआत की है। यह पहल इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव के अंतर्गत शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को प्राप्त करने में देशों का सहयोग करना है।

इस पहल का उद्घाटन शुक्रवार को विदेश मंत्रालय (एमईए) के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने किया।

इन नौ सहयोगी देशों में जाम्बिया, लाओस, नेपाल, बारबाडोस, बेलीज, सेंट किट्स एंड नेविस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो तथा दक्षिण सूडान शामिल हैं।

इस कार्यक्रम में विभिन्न देशों के मिशनों के प्रमुख, संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, आईटीईसी के कार्यान्वयन संस्थाओं के अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां एवं अन्य साझेदार संगठनों ने भी भाग लिया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 'एक्स' पर लिखा, "एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग को प्रोत्साहित करना!" इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव के तहत नौ साझेदार देशों में चार परियोजनाओं के पहले चरण की शुरुआत सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने की। मिशनों के प्रमुख, यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, आईटीईसी संस्थाओं के अधिकारी, यूएन एजेंसियां और अन्य साझेदार संगठन कार्यक्रम में शामिल हुए। ये परियोजनाएं खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण और जनगणना की तैयारियों पर केंद्रित हैं।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तन्मय लाल ने कहा कि "एसडीजी-१७ और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भावना में, यह नई भारत-संयुक्त राष्ट्र पहल वैश्विक क्षमता निर्माण के लिए और भी महत्वपूर्ण है। इसका उद्देश्य एसडीजी से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों में अनुभव साझा करना और वैश्विक दक्षिण साझेदारों को सशक्त बनाना है।"

'इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव' के तहत, संयुक्त राष्ट्र भारत की श्रेष्ठ कार्यप्रणालियों और संस्थानों को अन्य देशों से जोड़ने में सहायता करेगा, ताकि सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को प्राप्त करने की गति तेज की जा सके। इस पहल में स्किल्स ट्रेनिंग, नॉलेज एक्सचेंज, और साझेदार देशों में पायलट प्रोजेक्ट्स जैसी कई गतिविधियां शामिल हैं, जिन्हें नए 'यूएन इंडिया एसडीजी कंट्री फंड' और आईटीईसी कार्यक्रम के माध्यम से लागू किया जाएगा।

यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प ने कहा, "वसुधैव कुटुम्बकम (दुनिया एक परिवार है) की भावना के तहत, भारत एसडीजी को गति देने के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग में अपनी लंबे समय से चली आ रही नेतृत्वकारी भूमिका को और विस्तारित कर रहा है, जिसमें भारतीय संस्थानों और यूएन प्रणाली की नवाचार और साझेदारी क्षमता का भरपूर उपयोग किया जा रहा है।"

Point of View

बल्कि यह भारत की वैश्विक नेतृत्व की भूमिका को भी सशक्त बनाती है। इससे न केवल साझेदार देशों में विकास होगा, बल्कि भारत की तकनीकी और आर्थिक सहयोग की छवि भी मजबूत होगी।
NationPress
03/08/2025

Frequently Asked Questions

दक्षिण-दक्षिण सहयोग क्या है?
दक्षिण-दक्षिण सहयोग का मतलब है विकासशील देशों के बीच सहयोग और अनुभव साझा करना, ताकि वे एक-दूसरे का समर्थन कर सकें।
इस पहल का उद्देश्य क्या है?
इस पहल का उद्देश्य सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को हासिल करने में देशों की मदद करना है।
इन प्रोजेक्ट्स में कौन से देश शामिल हैं?
इन प्रोजेक्ट्स में जाम्बिया, लाओस, नेपाल, बारबाडोस, बेलीज, सेंट किट्स एंड नेविस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, और दक्षिण सूडान शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में कौन-कौन शामिल था?
इस कार्यक्रम में विभिन्न देशों के मिशनों के प्रमुख, यूएन के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर, राजनयिक, और आईटीईसी के अधिकारी शामिल थे।
इस पहल का लाभ क्या होगा?
इस पहल का लाभ खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण और जनगणना की तैयारियों में होगा।