क्या भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा शहद निर्यातक बन गया है? 1.07 लाख मीट्रिक टन का निर्यात किया
सारांश
Key Takeaways
- भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शहद निर्यातक बन गया है।
- वित्त वर्ष 2023-24 में 1.07 लाख मीट्रिक टन शहद का निर्यात किया गया है।
- केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन की शुरुआत की है।
- मधुमक्खी पालन में ग्रामीण विकास का बड़ा योगदान है।
- शहद उत्पादन से किसानों की आय में वृद्धि हो रही है।
नई दिल्ली, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शहद निर्यातक बन चुका है, और वित्त वर्ष 2023-24 में देश ने 177.55 मिलियन डॉलर मूल्य के 1.07 लाख मीट्रिक टन शहद का निर्यात किया है। यह जानकारी सरकार ने रविवार को साझा की।
भारत में शहद के निर्यात में लगातार वृद्धि हो रही है, और 2020 में यह नौवें स्थान पर था।
केंद्र सरकार ने वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन को आगे बढ़ाने और गुणवत्तापूर्ण शहद के उत्पादन के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम) की शुरुआत की है।
सरकार के अनुसार, राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) के माध्यम से कार्यान्वित यह योजना आत्मनिर्भर भारत के तहत तीन वर्षों (वित्त वर्ष 2020-21 से 2022-23) के लिए 500 करोड़ रुपए का बजट रखती है। इसे अब तीन और वर्षों (वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26) के लिए बढ़ा दिया गया है।
इसके साथ ही, केंद्र सरकार ने शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के स्रोत की ऑनलाइन पंजीकरण के लिए मधुक्रांति पोर्टल की शुरुआत की है।
भारत की विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियां मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन में अपार संभावनाएं प्रदान करती हैं। यह एक महत्वाकांक्षी पहल है जिसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शहद के उत्पादन को बढ़ावा देकर किसानों की आय में सुधार करना है।
मधुमक्खी पालन ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों द्वारा की जाने वाली एक महत्वपूर्ण कृषि-आधारित गतिविधि है, जो परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह न केवल फसल की पैदावार बढ़ाती है, बल्कि शहद और अन्य उच्च-मूल्य वाले मधुमक्खी उत्पादों जैसे मोम, प्रोपोलिस, और मधुमक्खी विष आदि का उत्पादन भी करती है।
एनबीएचएम को तीन लघु मिशनों के माध्यम से लागू किया जा रहा है। लघु मिशन-I में वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है।
लघु मिशन-II मधुमक्खी पालन से प्राप्त उत्पादों के प्रबंधन पर केंद्रित है, जबकि लघु मिशन-III अनुसंधान और प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करता है।