क्या भारत-फ्रांस के बीच अभ्यास 'शक्ति' सेनाओं की रणनीति को मजबूत करेगा?

सारांश
Key Takeaways
- अभ्यास 'शक्ति' का आयोजन 18 जून से शुरू होगा।
- इसमें 90 भारतीय और 90 फ्रांसीसी सैनिक शामिल हैं।
- यह अभ्यास आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहयोग को बढ़ावा देगा।
- सैन्य सहयोग को मजबूत करने का यह एक महत्वपूर्ण अवसर है।
- यह अभ्यास नई तकनीकों और उपकरणों पर प्रशिक्षण का मौका देगा।
नई दिल्ली, 17 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना की एक टुकड़ी फ्रांस पहुंच रही है। यहां भारत और फ्रांस की सेनाएं एक महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास करने जा रही हैं। इस अभ्यास का नाम 'शक्ति' रखा गया है, जिसमें आतंकवाद विरोधी अभियानों से जुड़े अभ्यास भी शामिल होंगे।
यह अभ्यास 18 जून से प्रारंभ होगा। ‘शक्ति’ के 8वें संस्करण में भाग लेने के लिए भारतीय सैन्य दल फ्रांस के लिए रवाना हो गया है। यह अभ्यास अर्ध-शहरी क्षेत्रों में आतंकवाद विरोधी अभियानों के संचालन में तालमेल और अंतर-संचालन को बढ़ावा देगा।
18 जून से प्रारंभ होने वाला यह अभ्यास 1 जुलाई 2025 तक फ्रांस के ला कावालरी स्थित कैम्प लारजैक में आयोजित किया जाएगा। इसमें शामिल होने वाले भारतीय दल में कुल 90 सैनिक हैं, जिनमें मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर राइफल्स की एक बटालियन के जवान शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, सेना की अन्य शाखाओं और सेवाओं के सैनिक भी इस अभियान में भाग लेंगे। फ्रांस13वीं फॉरेन लीजन हाफ ब्रिगेड से होंगे।
'शक्ति' भारत और फ्रांस की सेनाओं के बीच द्विवार्षिक प्रशिक्षण सहयोग है। इसका उद्देश्य पारस्परिक संचालन क्षमता, समन्वय और सैन्य संबंधों को मजबूत करना है। इस संस्करण में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अंतर्गत उप-पारंपरिक वातावरण में संयुक्त अभियानों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसमें अर्ध-शहरी क्षेत्रों में प्रशिक्षण शामिल है।
यह अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं को सामरिक अभ्यासों का अवसर प्रदान करेगा। सैन्य सहयोग को परिष्कृत करने, रणनीति, तकनीकों और प्रक्रियाओं में सर्वश्रेष्ठ अनुभव साझा करने का यह एक अवसर है।
यह अभ्यास भारत और फ्रांस की सेनाओं को नई पीढ़ी के उपकरणों पर प्रशिक्षण लेने और शारीरिक सहनशक्ति को मजबूत करने का भी अवसर प्रदान करता है। साथ ही यह आपसी सम्मान, सैन्य सौहार्द और व्यावसायिक संबंधों को भी प्रगाढ़ करेगा।
'शक्ति-8' अभ्यास भारत और फ्रांस के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग का प्रतीक है और दोनों मित्र राष्ट्रों के बीच रणनीतिक संबंधों को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा।