क्या भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.5 अरब डॉलर बढ़कर 702 अरब डॉलर हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 702.3 अरब डॉलर तक बढ़ा है।
- गोल्ड रिजर्व 108.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
- विदेशी मुद्रा एसेट्स 1.7 अरब डॉलर घटे हैं।
- गोल्ड रिजर्व की हिस्सेदारी 14.7% हो गई है।
- आरबीआई ने 75 टन गोल्ड की खरीदारी की है।
मुंबई, 24 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 17 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 4.5 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 702.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों में साझा की गई।
केंद्रीय बैंक के अनुसार, समीक्षा अवधि में भारत का गोल्ड रिजर्व, जो विदेशी मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, 6.2 अरब डॉलर बढ़कर 108.5 अरब डॉलर हो गया है। इस वृद्धि का कारण सोने की कीमतों में बढ़ोतरी और केंद्रीय बैंक द्वारा खरीदारी का बढ़ना है।
फॉरेन करेंसी एसेट्स, जो विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा होती हैं, 1.7 अरब डॉलर घटकर 570.4 अरब डॉलर रह गई हैं। ये एसेट्स यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राओं के मूल्यों में परिवर्तन से प्रभावित होती हैं।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, इस सप्ताह के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत की रिजर्व स्थिति 3 करोड़ डॉलर घटकर 4.62 अरब डॉलर रह गई है।
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड रिजर्व की हिस्सेदारी बढ़कर 14.7 प्रतिशत हो गई है, जो कि कई दशकों का उच्चतम स्तर है।
बीते एक दशक में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड की हिस्सेदारी दोगुनी हो चुकी है, जो पहले 7 प्रतिशत थी।
मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई ने 2024 से अपने गोल्ड रिजर्व में लगभग 75 टन की वृद्धि की है, जिससे कुल गोल्ड होल्डिंग 880 टन हो गई है, जो अब भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 14 प्रतिशत है।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है और अपनी मांग को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। सोना खरीदना भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित है। इसे निवेश और प्रतिष्ठा के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।