क्या भारत के यात्री वाहन उद्योग का वॉल्यूम चालू वित्त वर्ष में 4 प्रतिशत तक बढ़ेगा?
सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी रेट कटौती से रिटेल बिक्री में वृद्धि होगी।
- एसयूवी की मांग में 8-10 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
- हाइब्रिड वॉल्यूम में 34-38 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
- इलेक्ट्रिक कार वॉल्यूम 1.75 लाख यूनिट तक पहुँच सकता है।
- ग्रामीण मांग में वृद्धि की संभावना है।
नई दिल्ली, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जीएसटी रेट में कमी, कम महंगाई और सहायक राजकोषीय उपायों के चलते भारत के यात्री वाहन उद्योग का वॉल्यूम चालू वित्त वर्ष में लगभग 4 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में साझा की गई है।
केयरएज रेटिंग्स की हालिया रिपोर्ट बताती है कि स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स (एसयूवी) बाजार पर अपनी पकड़ बनाए रखेंगे और 8 से 10 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिलेगी।
रेटिंग एजेंसी के अनुसार, छोटे वाहनों पर जीएसटी की दर पहले 28 प्रतिशत थी, लेकिन अब इसे घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे एंट्री-लेवल डिमांड में वृद्धि होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, एसयूवी पर सेस को हटाना उनकी मांग को और बढ़ा सकता है।
वित्त वर्ष 26 में, हाइब्रिड वॉल्यूम में 34-38 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है, जो 1.07-1.10 लाख यूनिट तक पहुंच सकता है, जबकि वित्त वर्ष 25 में हाइब्रिड वॉल्यूम की कुल 80,406 यूनिट रजिस्टर की गई थी।
रिपोर्ट में अनुमान है कि वित्त वर्ष 26 में पीवी सेगमेंट में इलेक्ट्रिक कार वॉल्यूम 1.75 लाख यूनिट रह सकता है, जबकि ईवी पेनिट्रेशन 3-4 प्रतिशत के स्तर पर रहेगा। वित्त वर्ष 24 में ईवी की बिक्री में 83 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी, जबकि वित्त वर्ष 25 में यह वृद्धि 11 प्रतिशत रही थी।
केयरएज रेटिंग्स के असिस्टेंट डायरेक्टर मधुसूदन गोस्वामी ने कहा, "जीएसटी रेट में कटौती के बाद रिटेल बिक्री में ग्रामीण और शहरी दोनों बाजारों में मजबूत वृद्धि देखी गई है। आगे बढ़ते हुए फेस्टिव सीजन के अंत में पीवी की बिक्री सामान्य हो जाएगी। हालांकि, हार्वेस्ट सीजन के साथ ग्रामीण मांग बढ़ेगी और शादियों के कारण सीजनल डिमांड में वृद्धि होगी, जिससे वृद्धि की गति जारी रहने की संभावना है।"
वाहनों की उच्च कीमतें और पिछले वर्ष का उच्च बेस इफेक्ट पीवी इंडस्ट्री की वृद्धि दर को 3.7 प्रतिशत तक सीमित कर देती हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, नए मॉडल लॉन्च और मजबूत एसयूवी डिमांड समग्र गति को बनाए रखने में मदद करेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में विकास की गति ओईएम प्राइसिंग रणनीति, प्रोडक्ट रिफ्रेश साइकल और मैक्रोइकोनॉमिक स्थितियों में निरंतर सुधार जैसे कारकों पर निर्भर है।