क्या भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में हुई मजबूत वृद्धि?

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क्या भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में हुई मजबूत वृद्धि?

सारांश

भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में मजबूत वृद्धि दिखा रहा है। घरेलू मांग और निवेशक भावना से संचालित, यह सर्वेक्षण दर्शाता है कि 87% मैन्युफैक्चरर्स ने उत्पादन में वृद्धि की है। क्या यह वृद्धि जारी रहेगी? जानिए इस सर्वेक्षण के प्रमुख बिंदुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • 87% मैन्युफैक्चरर्स ने उत्पादन में वृद्धि की सूचना दी है।
  • 83% कंपनियों ने आगामी मांग में इजाफे की उम्मीद जताई है।
  • 50% से अधिक कंपनियाँ नए प्रोजेक्ट्स में निवेश करने की योजना बना रही हैं।
  • 81% कंपनियों के पास बैंक लोन की अच्छी पहुंच है।
  • केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, और ऑटोमोबाइल निर्यात में वृद्धि कर रहे हैं।

नई दिल्ली, 9 अक्तूबर (राष्ट्र प्रेस)। मजबूत घरेलू मांग और इन्वेस्टर सेंटीमेंट के चलते भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में तेजी से विकसित हुआ है। यह जानकारी एक हालिया सर्वेक्षण में साझा की गई।

इंडस्ट्री बॉडी फिक्की द्वारा किए गए सर्वेक्षण में बताया गया कि जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान 87 प्रतिशत मैन्युफैक्चरर्स ने उच्च और स्थिर उत्पादन स्तरों की सूचना दी है।

सर्वेक्षण में भाग लेने वाली 83 प्रतिशत कंपनियों का कहना है कि जीएसटी में कटौती के कारण भविष्य में मांग में बढ़ोतरी संभव है, और यह सेक्टर अपनी 75 प्रतिशत क्षमता पर कार्यरत है, जो उत्पादन की स्थिरता को दर्शाता है।

50 प्रतिशत से अधिक कंपनियों ने यह भी बताया कि वे अगले छह महीनों में नए प्रोजेक्ट्स या नई क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।

हालांकि, मैन्युफैक्चरर्स को उच्च इनपुट लागत, अस्थिर भूराजनीति, व्यापार बाधाएं, और कुछ बाजारों में कुशल श्रमिकों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

50 प्रतिशत से अधिक व्यवसायों ने पिछले वर्ष की तुलना में उत्पादन लागत में वृद्धि के बारे में जानकारी दी, जिसके पीछे मुख्य कारण मेटल, बल्क केमिकल, एनर्जी, लॉजिस्टिक्स और लेबर की बढ़ती कीमतें हैं।

सर्वेक्षण में बताया गया है कि 81 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि उन्हें कार्यशील पूंजी और दीर्घकालिक जरूरतों के लिए बैंक लोन की अच्छी पहुंच है, जबकि मैन्युफैक्चरर्स के लिए औसत लोन रेट 8.9 प्रतिशत है।

सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख किया गया कि केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री निर्यात को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इसके साथ ही आउटलुक भी सकारात्मक बना हुआ है। 57 प्रतिशत मैन्युफैक्चरर्स की योजना आने वाले तिमाही में अधिक लोगों को नियुक्त करने की है।

यह सर्वेक्षण कैपिटल गुड्स, ऑटोमोबाइल, केमिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीन टूल्स, मेटल, टेक्सटाइल और अन्य सेक्टर के मैन्युफैक्चरर्स को शामिल करता है।

Point of View

मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर न केवल आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह रोजगार सृजन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमें इस क्षेत्र को समर्थन देने के लिए ठोस नीतियों की आवश्यकता है।
NationPress
09/10/2025

Frequently Asked Questions

भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि के मुख्य कारण क्या हैं?
मुख्य कारण हैं मजबूत घरेलू मांग, निवेशक भावना, और जीएसटी में कटौती।
सर्वेक्षण में कितनी कंपनियों ने भाग लिया?
लगभग 83 प्रतिशत कंपनियों ने इस सर्वेक्षण में भाग लिया।
क्या मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कोई चुनौतियाँ हैं?
हां, उच्च इनपुट लागत, अस्थिर भूराजनीति, और कुशल श्रमिकों की कमी जैसी चुनौतियाँ हैं।