क्या भारत की वित्तीय समावेशन योजनाएं लाखों लोगों को मुख्यधारा से जोड़ रही हैं?

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क्या भारत की वित्तीय समावेशन योजनाएं लाखों लोगों को मुख्यधारा से जोड़ रही हैं?

सारांश

भारत की वित्तीय समावेशन योजनाओं ने लाखों लोगों को मुख्यधारा में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री जन धन योजना, मुद्रा और यूपीआई जैसी योजनाएं न केवल विकास को समग्रता दे रही हैं, बल्कि देश की आर्थिक तस्वीर को भी नया आकार दे रही हैं। जानें इन योजनाओं का वास्तविक प्रभाव कितना है।

Key Takeaways

  • प्रधानमंत्री जन धन योजना ने करोड़ों लोगों को बैंकिंग सिस्टम में लाया है।
  • यूपीआई डिजिटल लेनदेन की एक नई क्रांति है।
  • महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि हो रही है।
  • फाइनेंशियल लिटरेसी अभियान धोखाधड़ी की रोकथाम पर ध्यान दे रहा है।
  • मुद्रा और स्टैंड अप इंडिया योजनाएं विशेष रूप से महिला उद्यमियों पर केंद्रित हैं।

नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) से लेकर मुद्रा और यूपीआई-आधारित डिजिटल भुगतान तक, सरकार की वित्तीय समावेशन योजनाएं भारत की विकास कहानी को महानगर-केंद्रित से राष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित कर रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, "आर्थिक विकास केवल कुछ शहरों और नागरिकों तक सीमित नहीं रह सकता। विकास को समग्र और समावेशी होना चाहिए।"

इंडिया नैरेटिव की रिपोर्ट बताती है कि, "यह समावेशन केवल शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नीति, तकनीक और सामुदायिक पहुंच को एक अभूतपूर्व जाल में पिरोने से उत्पन्न हुआ है।"

वित्तीय समावेशन सूचकांक जो 2021 में लॉन्च किया गया था, बैंकिंग, बीमा, पेंशन, निवेश और डाक सेवाओं सहित 97 संकेतकों पर आधारित है।

इसके तीन उप-सूचकांक - पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता (एक्सेस, यूसेज और क्वालिटी) न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार को मापते हैं, बल्कि यह भी देखते हैं कि लोग वित्तीय उत्पादों का कितनी अच्छी तरह उपयोग कर रहे हैं और उनकी समझ क्या है।

रिपोर्ट के अनुसार, "कार्यक्रम का कार्यान्वयन अपने पैमाने में अद्वितीय रहा है। प्रधानमंत्री जन धन योजना ने 55.98 करोड़ लोगों को औपचारिक बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा है, जिनमें से आधे से ज्यादा महिलाएं हैं। 13.55 लाख स्थानीय बैंकिंग कोरस्पोंडेंट के 'बैंक मित्रों' का नेटवर्क अब दूरदराज के गांवों तक सेवाएं पहुंचा रहा है।"

जन धन खातों में अधिकांश महिलाएं हैं। अटल पेंशन योजना के ग्राहकों में अब 48 प्रतिशत महिलाएं हैं।

इसके अलावा, यूपीआई अब देश में सभी डिजिटल लेनदेन के 85 प्रतिशत और वैश्विक रियल-टाइम डिजिटल भुगतानों के लगभग आधे का समर्थन कर रहा है।

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, दैनिक यूपीआई-आधारित लेनदेन की संख्या पहली बार 700 मिलियन को पार कर 707 मिलियन तक पहुंच गई है। यह उपलब्धि 2 अगस्त को प्राप्त की गई। पिछले दो वर्षों में, दैनिक लेनदेन की संख्या दोगुनी हो गई है।

हालांकि, अब मोबाइल बैंकिंग अपनाने वाले ग्रामीण परिवार डिजिटल धोखाधड़ी के प्रति अधिक संवेदनशील हो गए हैं।

इसे ध्यान में रखते हुए, वित्तीय साक्षरता अभियान धोखाधड़ी की रोकथाम और शिकायत निवारण पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है।

मुद्रा और स्टैंड अप इंडिया जैसी ऋण योजनाएं विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, "महिला समृद्धि योजना महिलाओं को क्राफ्ट स्किल में प्रशिक्षित करती है और उन्हें लोन तक पहुंच के साथ स्वयं सहायता समूहों में संगठित करती है। किसान क्रेडिट कार्ड अब 7.7 करोड़ से अधिक किसानों को सेवा प्रदान कर रहा है और अनौपचारिक साहूकारों पर निर्भरता को कम कर रहा है, साथ ही कृषि उत्पादकता को बढ़ा रहा है।"

विश्व बैंक के ग्लोबल फाइंडेक्स 2025 के अनुसार, भारत में 'खाता स्वामित्व' अब 89 प्रतिशत है, जो 2011 में केवल 35 प्रतिशत था।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत की वित्तीय समावेशन योजनाएं न केवल आर्थिक विकास को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि सामाजिक समानता को भी बढ़ावा दे रही हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम इन योजनाओं की प्रगति पर ध्यान दें और सुनिश्चित करें कि यह सभी वर्गों तक पहुंचे।
NationPress
25/09/2025

Frequently Asked Questions

प्रधानमंत्री जन धन योजना क्या है?
प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) एक वित्तीय समावेशन योजना है, जिसका उद्देश्य सभी भारतीय नागरिकों को औपचारिक बैंकिंग सिस्टम में शामिल करना है।
यूपीआई का क्या महत्व है?
यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) डिजिटल लेनदेन को सरल और सुरक्षित बनाता है, जिससे लोग आसानी से पैसे भेज और प्राप्त कर सकते हैं।
मुद्रा योजना का क्या उद्देश्य है?
मुद्रा योजना का उद्देश्य छोटे उद्यमियों को ऋण प्रदान करना है ताकि वे अपने व्यवसाय को बढ़ा सकें।
महिला समृद्धि योजना क्या करती है?
महिला समृद्धि योजना महिलाओं को विभिन्न क्राफ्ट स्किल में प्रशिक्षित करती है और उन्हें स्वयं सहायता समूहों में संगठित करती है।
भारत में खाता स्वामित्व का प्रतिशत क्या है?
भारत में खाता स्वामित्व अब 89 प्रतिशत है, जो 2011 में केवल 35 प्रतिशत था।