क्या भारत को राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के लिए दूसरी छमाही में खर्च कम करना होगा?
सारांश
Key Takeaways
- राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के लिए खर्च में कटौती आवश्यक है।
- राजस्व संग्रह में कमी आई है, जो चिंता का विषय है।
- पूंजीगत खर्च में वृद्धि देखी गई है।
- कर राजस्व वृद्धि को बढ़ाना होगा।
- सरकार को खर्च में कटौती करनी पड़ सकती है।
नई दिल्ली, 25 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत को अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने के लिए वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही में खर्च की गति को कम करना आवश्यक है। यह जानकारी मंगलवार को एक रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई।
मॉर्गन स्टेनली द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार का पूंजीगत खर्च मजबूत बना हुआ है, लेकिन नॉमिनल जीडीपी में सुधार की कमी के कारण राजस्व की वृद्धि धीमी हो रही है।
वैश्विक वित्तीय संस्थान ने उल्लेख किया कि वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में कर आय में वृद्धि बजट के अनुमान से कम रही है।
इस वित्त वर्ष में राजस्व संग्रह केवल 4.5 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि सरकार का वार्षिक लक्ष्य 12.6 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह मंदी कम जीडीपी अपस्फीति मूल्यों और उच्च टैक्स रिफंड से संबंधित है। प्रत्यक्ष कर संग्रह में 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि अप्रत्यक्ष कर संग्रह में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कि बजट में निर्धारित लक्ष्य से काफी कम है।
दूसरी ओर, सरकारी खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खर्च 9.1 प्रतिशत बढ़ गया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसमें 0.4 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पूंजीगत खर्च सालाना आधार पर 40 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि राजस्व खर्च में केवल 1.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
मॉर्गन स्टेनली ने बताया कि वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में राजकोषीय घाटा पहले ही लगभग 21 प्रतिशत बढ़ चुका है। सकल घरेलू उत्पाद के 4.4 प्रतिशत के वार्षिक घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए वर्ष की दूसरी छमाही में कर राजस्व वृद्धि को लगभग 30 प्रतिशत तक तेजी से बढ़ाने की आवश्यकता होगी। वित्तीय फर्म को मजबूत मांग, बेहतर अनुपालन और कम रिफंड के कारण कुछ सुधार की उम्मीद है।
हालांकि, रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कर संग्रह अभी भी सकल घरेलू उत्पाद के 40-50 आधार अंकों तक कम हो सकता है।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि सरकार को अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से चूकने से बचने के लिए वित्त वर्ष 2026 के शेष महीनों में खर्च में कटौती करनी पड़ सकती है।