क्या भारत सरकार और एडीबी ने असम में शहरी सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए?

सारांश
Key Takeaways
- 125 मिलियन डॉलर का ऋण समझौता भारत सरकार और एडीबी के बीच हुआ।
- असम में 3.6 लाख लोगों को लाभ होगा।
- जल शोधन संयंत्रों का निर्माण किया जाएगा।
- महिलाओं की भागीदारी को विशेष महत्व दिया गया है।
- बाढ़ प्रबंधन के लिए उपाय किए जाएंगे।
नई दिल्ली, 22 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत सरकार और एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने सोमवार को असम में शहरी जीवन को सुधारने और जलवायु लचीलापन को बढ़ावा देने के लिए 125 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।
यह समझौता असम के छह जिला मुख्यालयों और गुवाहाटी शहर में शहरी बुनियादी ढांचे के विकास और जल सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए किया गया है। इस परियोजना से लगभग 3.6 लाख लोगों को लाभ प्राप्त होगा।
इस समझौते पर भारत सरकार की तरफ से वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग की संयुक्त सचिव जूही मुखर्जी और एडीबी की तरफ से भारत रेजिडेंट मिशन की कंट्री डायरेक्टर मिस मियो ओका ने हस्ताक्षर किए।
यह परियोजना असम में निवासियों को निरंतर मीटर्ड जलापूर्ति और बेहतर वर्षाजल प्रबंधन (स्टॉर्मवॉटर मैनेजमेंट) की सुविधा प्रदान करेगी। इसके साथ ही शहरी प्रशासन को मजबूत करने के लिए संस्थागत सुधार और क्षमता निर्माण पर भी ध्यान दिया जाएगा।
प्रमुख कार्यों और निर्माणों में, 6 जल शोधन संयंत्रों का निर्माण किया जाएगा, जिनकी कुल क्षमता 72 मिलियन लीटर प्रतिदिन होगी। इसके अलावा 800 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई जाएगी। ये सुविधाएं बारपेटा, बोंगाईगांव, धुबरी, गोलपाड़ा, गोलाघाट और नलबाड़ी में लागू की जाएंगी। एक रीयल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम भी स्थापित किया जाएगा ताकि गैर-राजस्व जल को 20 प्रतिशत से कम रखा जा सके।
गुवाहाटी के बहिनी बेसिन क्षेत्र में बाढ़ से सुरक्षा के लिए फ्लड डायवर्जन चैनल, उन्नत ड्रेनेज सिस्टम और प्राकृतिक जलाशयों का निर्माण किया जाएगा। ये उपाय बाढ़ के प्रभाव को कम करने और भूजल पुनर्भरण में सहायता करेंगे।
इस परियोजना में महिलाओं और युवतियों की सक्रिय भागीदारी को भी विशेष महत्व दिया गया है। महिला स्वयं सहायता समूहों को जल संचालन में प्रशिक्षण दिया जाएगा। कॉलेज जाने वाली लड़कियों के लिए इंटर्नशिप कार्यक्रम चलाए जाएंगे। स्कूलों में जल, स्वच्छता और स्वच्छता जागरूकता पर विशेष अभियान चलाया जाएगा।
परियोजना के अंतर्गत जीआईएस आधारित प्रॉपर्टी टैक्स डेटाबेस, डिजिटल वॉटर बिलिंग सिस्टम और वॉल्यूमेट्रिक वाटर टैरिफ भी लागू किए जाएंगे, ताकि सेवा वितरण और वित्तीय स्थिरता में सुधार हो सके।