क्या कांग्रेस शासन काल में अरावली में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हुआ?

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क्या कांग्रेस शासन काल में अरावली में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हुआ?

सारांश

अरावली पर्वतमाला में अवैध खनन के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस शासन काल की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार केवल सतत खनन को अनुमति दी जाएगी। इस विषय पर और जानकारी के लिए लेख पढ़ें।

Key Takeaways

  • अरावली पर्वतमाला में अवैध खनन के मुद्दे पर सरकार की सख्त नीति।
  • सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत खनन के नए मानदंड।
  • कांग्रेस शासन काल में अवैध खनन का आरोप।
  • पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीन अरावली प्रोजेक्ट की शुरुआत।
  • भविष्य में केवल सतत खनन को अनुमति।

नई दिल्ली, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अरावली पर्वतमाला के संदर्भ में चल रही बहस के बीच, केंद्र सरकार ने एक बार फिर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्र प्रेस के साथ विशेष बातचीत में बताया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में अरावली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा था। इस कारण कई सामाजिक संगठनों और नागरिकों को अदालत का सहारा लेना पड़ा।

वर्तमान में चल रही याचिका भी उसी समय की देन है। सरकार का कहना है कि अब सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के तहत स्थिति पूरी तरह बदल गई है, और खनन को अब केवल सतत, वैज्ञानिक और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से ही आगे बढ़ाया जाएगा, ताकि अरावली की रक्षा की जा सके।

अरावली को लेकर कुछ राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही तुलना पर सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नर्मदा परियोजना से संबंधित आरोपों की तरह, यह भी कांग्रेस द्वारा फैलाया गया एक और झूठ है, जिसे जनता अब पहचान चुकी है।

कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के संदर्भ में विदेशी एजेंसियों की भूमिका पर उठे सवालों की तरह, अरावली के मामले में भी कुछ राजनीतिक विरोधियों पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया गया है। केंद्रीय मंत्री का दावा है कि अरावली के संदर्भ में कुछ लोग जानबूझकर गलतफहमी पैदा कर रहे हैं, लेकिन यह प्रयास पूरी तरह विफल हो चुका है। सरकार पारदर्शिता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ अरावली संरक्षण के लिए कार्य कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार, स्थिति पूरी तरह स्पष्ट कर दी गई है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, कोर्ट ने अरावली में किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी है। बल्कि पर्यावरण मंत्रालय के ग्रीन अरावली प्रोजेक्ट को मान्यता दी गई है और आईसीएफआरआई को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि जब तक पूरी वैज्ञानिक योजना तैयार नहीं हो जाती, तब तक कोई नया खनन नहीं होगा।

इस योजना के तहत अरावली पहाड़ियों और पूरे क्षेत्र की पहचान और उनकी इको-सेंसिटिविटी का निर्धारण किया जाएगा, और उसके बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा।

भूपेंद्र यादव ने कहा है कि इन कदमों का उद्देश्य अवैध खनन को पूरी तरह रोकना और भविष्य में केवल सतत खनन को ही अनुमति देना है।

Point of View

NationPress
23/12/2025

Frequently Asked Questions

अरावली पर्वतमाला में अवैध खनन के क्या प्रभाव हैं?
अरावली पर्वतमाला में अवैध खनन से पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुँचता है, जिससे जैव विविधता और जलवायु संतुलन प्रभावित होता है।
सरकार का खनन नीति में क्या बदलाव है?
सरकार अब खनन को केवल सतत और वैज्ञानिक तरीके से करने की अनुमति देगी, ताकि पर्यावरण की रक्षा हो सके।
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