क्या भारत-सिंगापुर शिक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की पहल सराहनीय है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत और सिंगापुर के बीच शिक्षा का सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया।
- कौशल विकास और नवाचार के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का प्रयास।
- युवाओं के लिए सशक्तिकरण और अवसर प्रदान करने की दिशा में कदम।
नई दिल्ली, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के साथ नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक को भारत और सिंगापुर के बीच राजनयिक संबंधों के 60वें वर्ष के उपलक्ष्य में विशेष माना जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने इस बैठक को लेकर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच शिक्षा, कौशल विकास, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने पर सार्थक चर्चा हुई।
उन्होंने बताया कि इस बैठक में स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा हुई।
धर्मेंद्र प्रधान ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में भारत-सिंगापुर सहयोग नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
धर्मेंद्र प्रधान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से आज दोपहर मुलाकात करके मुझे बहुत खुशी हुई। उनकी भारत यात्रा विशेष है, क्योंकि इस वर्ष हमारे दोनों महान देशों के बीच राजनयिक संबंधों का साठवां वर्ष पूरा हो रहा है।"
उन्होंने आगे लिखा, "हमने स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता में अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए सार्थक बातचीत की। हम शिक्षकों की क्षमता निर्माण, अनुसंधान कौशल और क्षमता को बढ़ावा देने, कौशल विकास पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और छात्रों को वैश्विक दृष्टिकोण और समृद्ध वातावरण प्रदान करने के उद्देश्य से दोनों देशों के उच्च शिक्षा संस्थानों में अधिक छात्र आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिए मिलकर काम करने पर भी सहमत हुए। विशेष रूप से शिक्षा, कौशल विकास, स्टार्ट-अप और अग्रणी अनुसंधान में भारत-सिंगापुर सहयोग को अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए उनके निरंतर प्रयास की सराहना करता हूं।"
भारत और सिंगापुर के बीच लंबे समय से चले आ रहे मैत्रीपूर्ण संबंधों को और मजबूत करने के लिए यह बैठक एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। दोनों देशों के बीच शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में बढ़ता सहयोग न केवल युवाओं को सशक्त बनाएगा, बल्कि वैश्विक नवाचार और उद्यमिता को भी बढ़ावा देगा।