क्या भारत–थाईलैंड का संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘मैत्री’ दोनों सेनाओं की युद्धक ड्रिल को मजबूत करेगा?

सारांश
Key Takeaways
- संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘मैत्री’ ने भारत और थाईलैंड के बीच संबंधों को मजबूत किया।
- दोनों सेनाओं के बीच सैन्य हस्तक्षेप और बंधक मुक्ति अभियान का अभ्यास किया गया।
- यह अभ्यास संयुक्त राष्ट्र जनादेश के तहत आयोजित किया गया।
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने दोनों देशों के बीच सौहार्द को बढ़ाया।
- आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया।
नई दिल्ली, १४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना और रॉयल थाई आर्मी के सैनिकों ने संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘मैत्री’ को सफलतापूर्वक समाप्त किया है। यह सैन्य अभ्यास १४ सितंबर को संपन्न हुआ और मेघालय के उमरोई में पूर्ण उत्साह के साथ आयोजित किया गया। इस अभ्यास में जटिल परिदृश्यों में यात्री बस को अपहरणकर्ताओं से मुक्त कराने का अभ्यास किया गया। बंधकों की मुक्ति के लिए सैन्य हस्तक्षेप अभियान चलाए गए और आतंकवादियों के कब्जे वाले कमरों में प्रवेश का अभ्यास भी किया गया।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता बढ़ाना और एक-दूसरे की संचालन प्रक्रियाओं तथा युद्धक ड्रिल से परिचित कराना था। समापन समारोह में यह उद्देश्य सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया। यह अभ्यास संयुक्त राष्ट्र जनादेश के तहत आयोजित किया गया था। दोनों सेनाओं ने मिलकर विभिन्न टैक्टिकल ड्रिल्स और संचालन संबंधी चर्चाओं में भाग लिया। अभ्यास का समापन ४८ घंटे के वैलिडेशन एक्सरसाइज से हुआ।
इस वैलिडेशन एक्सरसाइज में अस्थायी परिचालन अड्डे का निर्माण और इंटेलिजेंस, सर्विलांस तथा रिकॉन्नेसाँ ग्रिड की स्थापना शामिल थी। गांव को अलग-थलग करने का अभ्यास भी किया गया। दोनों सेनाओं ने हेलीबोर्न ऑपरेशन, छापेमारी और बंधक मुक्ति अभियान का अभ्यास किया। इसके अलावा, नई पीढ़ी के आधुनिक उपकरणों का प्रदर्शन और सक्रिय उपयोग भी किया गया। समापन समारोह में उत्कृष्ट सैनिकों को सम्मानित किया गया और दोनों देशों की सांस्कृतिक एवं सैनिक परंपराओं का प्रदर्शन किया गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में दोनों देशों की समृद्ध संस्कृति और धरोहर को प्रस्तुत किया गया। सैनिकों के बीच वॉलीबॉल, बास्केटबॉल और रस्साकशी जैसी मैत्रीपूर्ण प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। अंतिम दिन एक सांस्कृतिक संध्या ने आपसी सौहार्द को और प्रगाढ़ किया। रक्षा मंत्रालय की जानकारी के अनुसार, यह संयुक्त प्रशिक्षण बेहद सफल रहा और भारत तथा थाईलैंड के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को और मजबूत करने में सहायक साबित हुआ। इससे न केवल दोनों सेनाओं के बीच संचालन संबंधी समझ और अंतर-संचालन क्षमता बढ़ी, बल्कि दोनों राष्ट्रों के संबंधों को भी सुदृढ़ करने में मदद मिली।