क्या भारतीय कंपनियों के वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही के नतीजे बीते दो वर्षों में सबसे मजबूत रहे?
Key Takeaways
- 69% कंपनियों ने अपेक्षित या उससे बेहतर प्रदर्शन किया।
- वित्तीय क्षेत्र में सुधार और ऋण वृद्धि की वापसी।
- कम महंगाई और आयकर में छूट से वृद्धि की संभावना।
- कंपनियों का शुद्ध मुनाफा 13% बढ़ा।
- सीमेंट और पेंट कंपनियों को लाभ मिला।
नई दिल्ली, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय कंपनियों ने वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में पिछले 2 वर्षों के मुकाबले सबसे उत्कृष्ट नतीजे प्रस्तुत किए हैं, जो दर्शाता है कि आय वृद्धि में कमी का दौर अब समाप्त हो चुका है। यह जानकारी सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में सामने आई।
एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि वित्त वर्ष 26 की सितंबर तिमाही में 69 प्रतिशत कंपनियों ने अपेक्षित या उससे बेहतर प्रदर्शन किया है। यह भारतीय इक्विटी पर हमारे ओवरवेट दृष्टिकोण को समर्थन करता है।
रिसर्च फर्म ने कहा कि कम महंगाई, ब्याज दरों में कटौती और आयकर छूट की सीमा बढ़ने से वित्त वर्ष 26 में आय वृद्धि दर लगभग 10 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जबकि वित्त वर्ष 27 में यह करीब 14 प्रतिशत तक पहुँच सकती है।
रिपोर्ट में उल्लेखित है कि इस पुनरुद्धार में वित्तीय क्षेत्र का सबसे अधिक योगदान रहा है। मार्जिन न्यूनतम स्तर पर पहुँच चुके हैं और ऋण वृद्धि फिर से शुरू हो गई है।
वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में कंपनियों का शुद्ध मुनाफा वार्षिक आधार पर 13 प्रतिशत बढ़ा है। यदि कमोडिटी क्षेत्र की कंपनियों को छोड़ दिया जाए, तो शुद्ध आय में सालाना आधार पर 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह लगातार छठी तिमाही है जब कंपनियों की आय एकल अंक में बढ़ी है।
रिपोर्ट के अनुसार, नेट इंटरेस्ट मर्जिन पर दबाव देखा गया है। हालांकि, क्रेडिट लागत में कमी आई है। जीएसटी सुधार का प्रभाव उपभोक्ता कंपनियों पर स्पष्ट हुआ है, लेकिन इन कंपनियों के मार्जिन में सुधार देखा गया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आईटी कंपनियों ने कमजोर मुद्रा के कारण अच्छा प्रदर्शन किया है।
वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में कमजोर प्रतिस्पर्धा के कारण सीमेंट और पेंट कंपनियों को लाभ मिला, फार्मा कंपनियों की बिक्री मजबूत रही, जबकि अस्पतालों को मार्जिन दबाव का सामना करना पड़ा।