क्या भारतीय सेना ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में 5,600 से ज्यादा स्पेयर पार्ट्स बनाने में सफलता प्राप्त की?

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क्या भारतीय सेना ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में 5,600 से ज्यादा स्पेयर पार्ट्स बनाने में सफलता प्राप्त की?

सारांश

भारतीय थल सेना ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसके तहत 5,600 से अधिक स्पेयर पार्ट्स अब देश में ही निर्मित हो रहे हैं। यह न केवल तकनीकी स्वदेशीकरण को बढ़ावा देता है, बल्कि युद्ध के समय विदेशी निर्भरता को भी समाप्त करता है।

Key Takeaways

  • 5,600+ स्पेयर पार्ट्स अब स्वदेशी हैं।
  • आयात पर निर्भरता कम हो रही है।
  • अत्याधुनिक तकनीक जैसे थर्मल इमेजर देश में बन रहे हैं।
  • रोजगार में वृद्धि हो रही है।
  • यह आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा है।

नई दिल्ली, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय थल सेना ने ‘टेक एब्जॉर्प्शन ईयर’ के दौरान स्वदेशीकरण को अद्वितीय गति दी है। आयातित हथियारों और उपकरणों पर निर्भरता तेजी से कम हो रही है। अब तक 1,050 से अधिक महत्वपूर्ण स्पेयर पार्ट्स और 60 से अधिक बड़ी असेंबलिंग पूरी तरह से स्वदेशी बन चुकी हैं।

इसी के साथ, मौजूदा हथियारों और सिस्टम के लिए 1,035 असेंबलिंग-सब असेंबलिंग और 3,517 स्पेयर पार्ट्स भी भारतीय कंपनियों ने सफलतापूर्वक विकसित कर लिए हैं। कुल मिलाकर 5,600 से ज्यादा पार्ट्स अब विदेश से मंगाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इससे न केवल रखरखाव और अपग्रेड करना आसान हुआ है, बल्कि युद्ध के समय सप्लाई चेन पर विदेशी दबाव का खतरा भी समाप्त हो गया है।

न केवल पार्ट्स, बल्कि अत्याधुनिक तकनीक भी अब देश में निर्मित हो रही है। थर्मल इमेजर के लिए क्रायो-कूलर, ड्रोन और अनमैन्ड एरियल व्हीकल के लिए फ्लाइट कंट्रोलर और इलेक्ट्रिकल स्पीड कंट्रोलर, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम जैसे उच्च-तकनीकी घटक अब भारतीय फैक्ट्रियों में तैयार हो रहे हैं।

ये सारे कार्य इन-हाउस रिसर्च, डीआरडीओ, बड़े रक्षा उद्योगों के साथ-साथ छोटी-मध्यम कंपनियों और स्टार्ट-अप्स के सहयोग से किए जा रहे हैं। सेना ने सैकड़ों नई भारतीय कंपनियों को अपने सप्लायर बेस में शामिल किया है, जिससे रोजगार और तकनीकी क्षमता में वृद्धि हो रही है।

सेना के अधिकारियों का कहना है कि ये कदम सीधे तौर पर ऑपरेशनल तैयारियों को मजबूत कर रहे हैं। अब युद्ध या आपात स्थिति में किसी विदेशी देश से पार्ट्स मंगवाने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यह पहल प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान और विकसित भारत 2047 के विजन से पूरी तरह से जुड़ी हुई है।

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि आने वाले वर्षों में और हजारों पार्ट्स को स्वदेशी बनाने का लक्ष्य है। इससे न केवल अरबों रुपये की विदेशी मुद्रा बचेगी, बल्कि भारतीय रक्षा उद्योग वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगा।

Point of View

बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी बेहद जरूरी है। ऐसे कदमों से भारतीय रक्षा उद्योग को मजबूती मिलेगी और यह विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनेगा।
NationPress
21/11/2025

Frequently Asked Questions

भारतीय सेना ने कितने स्पेयर पार्ट्स स्वदेशी किए हैं?
भारतीय सेना ने अब तक 5,600 से अधिक स्पेयर पार्ट्स स्वदेशी किए हैं।
क्या इससे विदेशी निर्भरता कम होगी?
हां, इससे आयातित हथियारों और उपकरणों पर निर्भरता कम होगी।
इस पहल का उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य भारतीय रक्षा उद्योग को मजबूत करना और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।
कौन सी प्रमुख तकनीकें देश में बन रही हैं?
थर्मल इमेजर, ड्रोन, और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम जैसी तकनीकें अब देश में बन रही हैं।
इससे रोजगार पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
इससे नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे और तकनीकी क्षमता में वृद्धि होगी।
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