क्या मध्य प्रदेश में आपदा के समय बचपन को बचाने के लिए महत्वपूर्ण चर्चा हुई?
सारांश
Key Takeaways
- आपदा के समय बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
- बाल-केंद्रित आपदा योजना में सभी विभागों का सहयोग आवश्यक है।
- मध्य प्रदेश को बच्चों की सुरक्षा में एक मॉडल बनना चाहिए।
भोपाल, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जब भी किसी आपदा का सामना होता है, बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, जिससे उनके बचपन पर गहरा असर पड़ता है। आपदा के समय में बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, और पोषण के विषय में भोपाल में गहन मंथन किया गया। इस पर विचार किया गया कि किस प्रकार की पहल की जाए और इसके परिणाम भी सामने आए।
बाल-केंद्रित आपदा जोखिम न्यूनीकरण (सीसीडीआरआर) पर राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन आपदा प्रबंधन संस्थान में किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन सत्र अपर मुख्य सचिव (गृह) शिव शेखर शुक्ला द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ प्रारंभ हुआ। आपदा प्रबंधन संस्थान के कार्यकारी निदेशक आशीष भार्गव ने कार्यशाला के उद्देश्यों को साझा किया।
यूनिसेफ मध्य प्रदेश के प्रमुख (कार्यवाहक) अनिल गुलाटी ने कहा कि यह अत्यंत आवश्यक है कि बाल-केंद्रित आपदा जोखिम न्यूनीकरण की योजना बच्चों के लिए और बच्चों के साथ मिलकर तैयार की जाए, जिसमें बच्चों के लिए काम करने वाले सभी विभागों को शामिल करते हुए बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाया जाए। हर बच्चे को सुरक्षा मिलनी चाहिए और हर बच्चे को आपदा में सहन करने में सक्षम होना चाहिए।
अपर मुख्य सचिव शिव शेखर शुक्ला ने बच्चों के प्रति राज्य सरकार की संवेदनशीलता की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला मध्य प्रदेश राज्य के लिए बाल-केंद्रित आपदा जोखिम न्यूनीकरण के रोड मैप के विकास के लिए इनपुट और सुझाव प्रदान करेगी।
यूनिसेफ दिल्ली के आपदा विशेषज्ञ सरबजीत सिंह सहोता सहित विशेषज्ञों ने बाल-केंद्रित आपदा जोखिम न्यूनीकरण की अनिवार्यता और राज्यों के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने जोखिम के समय में मजबूत बाल-केंद्रित योजना को लागू करने के लिए राज्य को अपनी सिफारिशें भी साझा कीं।
आपदा प्रबंधन संस्थान के डॉ. जॉर्ज वी. जोसेफ ने विभिन्न जिलों में किए जा रहे नवाचारों को साझा किया, जिसमें जिला आपदा प्रबंधन अधिकारियों के नेतृत्व वाले स्कूल सुरक्षा कार्यक्रमों की सफलता को बताया।
आपदा के समय बच्चों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। उनका स्वास्थ्य, संरक्षण, और पोषण प्रभावित होता है, साथ में मानव तस्करी का खतरा भी बना रहता है। इस कार्यशाला में इस बात पर जोर दिया गया कि आपदा के दौर में बच्चों की जरूरत और सुरक्षा के प्रबंधन में मध्य प्रदेश को सबसे आगे रहना चाहिए। बच्चों का सुरक्षित भविष्य सक्रिय उपायों और सहयोगात्मक प्रयासों से शुरू होता है, जो अन्य राज्यों को इस मॉडल का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।