क्या भारतीय वायुसेना को 97 एलसीए तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमानों के लिए 62,370 करोड़ रुपए का अनुबंध मिला?

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क्या भारतीय वायुसेना को 97 एलसीए तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमानों के लिए 62,370 करोड़ रुपए का अनुबंध मिला?

सारांश

भारतीय वायुसेना को 97 स्वदेशी एलसीए तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमानों के लिए 62,370 करोड़ रुपए का अनुबंध प्राप्त हुआ है, जो रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। यह अनुबंध वायु सेना की क्षमता को बढ़ाएगा और आत्मनिर्भर भारत पहल को सशक्त करेगा।

Key Takeaways

  • 97 एलसीए तेजस एमके-1ए विमानों का अनुबंध भारतीय वायुसेना के लिए महत्वपूर्ण है।
  • 62,370 करोड़ रुपये की लागत से यह अनुबंध स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देगा।
  • इस परियोजना से नए रोजगारों का सृजन होगा।
  • मिग-21 का युग समाप्त हो रहा है।
  • भारतीय वायुसेना की क्षमता में वृद्धि होगी।

नई दिल्ली, 25 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय वायुसेना को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति हेतु गुरुवार को नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस करार के अनुसार, 62 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक की लागत में भारतीय वायुसेना को 97 स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट उपलब्ध कराए जाएंगे।

लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 97 स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस एमके-1ए की खरीद हेतु 62,370 करोड़ रुपये का अनुबंध किया है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह लागत करों को छोड़कर है, यानी इसमें टैक्स शामिल नहीं है। इस अनुबंध में 68 सिंगल-सीटर लड़ाकू विमान और 29 ट्विन-सीटर ट्रेनर विमान का सौदा शामिल है।

मंत्रालय का कहना है कि यह अनुबंध भारतीय वायुसेना की क्षमता को और मजबूत करेगा। इन विमानों की डिलीवरी वर्ष 2027-28 से प्रारंभ होगी। तय अनुबंध के अनुसार, भारतीय वायुसेना को इन लड़ाकू विमानों की आपूर्ति अगले छह वर्षों में चरणबद्ध तरीके से की जाएगी। ये विमान स्वदेशीकरण पर आधारित होंगे और इनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की तकनीकी विशेषताएं होंगी।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस परियोजना में 64 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग होगा। जनवरी 2021 में हुए पहले स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट एमके-1ए अनुबंध की तुलना में इस बार 67 अतिरिक्त स्वदेशी उपकरण शामिल किए गए हैं। इसमें कई प्रमुख उन्नत प्रणालियां सम्मिलित हैं। भारतीय लड़ाकू विमान ‘उत्तम एईएसए’ रडार से लैस होंगे, जो सक्रिय इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे रडार है। इसमें ‘स्वयं रक्षा कवच’ प्रणाली और स्वदेशी नियंत्रण सतह एक्ट्यूएटर्स होंगे।

विशेषज्ञों के अनुसार, इन उन्नत तकनीकों से विमान की युद्धक क्षमता और आत्मनिर्भर भारत पहल को और बल मिलेगा। इस रक्षा सौदे से नए रोजगारों का भी सृजन होगा। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस परियोजना में लगभग 105 भारतीय कंपनियां विभिन्न पुर्जों और घटकों के निर्माण में शामिल रहेंगी। विमान उत्पादन प्रक्रिया के दौरान प्रति वर्ष लगभग 11,750 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।

इससे देश के एयरोस्पेस इकोसिस्टम को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। यह रक्षा सौदा रणनीतिक तौर पर भी काफी महत्वपूर्ण है। यह सौदा रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 की ‘भारतीय ख़रीद’ श्रेणी के अंतर्गत हुआ है। स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस एमके-1ए सबसे उन्नत स्वदेशी डिजाइन और निर्माण वाला लड़ाकू विमान है, जो भारतीय वायुसेना की परिचालन आवश्यकताओं को मजबूती से पूरा करेगा।

रक्षा मंत्रालय ने नए लड़ाकू विमानों के लिए सौदा किया है, वहीं दूसरी ओर भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के इतिहास का एक युग समाप्त होने जा रहा है। मिग-21 लड़ाकू विमान, जिसने 1960 के दशक से लेकर अब तक भारत की वायु सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, 26 सितंबर को आधिकारिक रूप से वायु सेना की सेवा से विदा लेगा।

मिग-21 को 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। इसने 1971 के भारत-पाक युद्ध, कारगिल युद्ध और कई अन्य अभियानों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अपनी गति और क्षमता के कारण इसे “फ्लाइंग बुलेट” भी कहा जाता था। हालांकि, हाल के वर्षों में इसके पुराने हो चुके ढांचे और सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए इसे चरणबद्ध तरीके से सेवा से हटाया जा रहा है। 26 सितंबर को चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर आयोजित समारोह में मिग-21 को अंतिम सलामी दी जाएगी। इस अवसर पर कई दिग्गज वायुयोद्धा, रक्षा मंत्री और वायु सेना प्रमुख उपस्थित रहेंगे।

Point of View

बल्कि रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न करेगा।
NationPress
25/09/2025

Frequently Asked Questions

इस अनुबंध का महत्व क्या है?
यह अनुबंध भारतीय वायुसेना की क्षमता को बढ़ाने और आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण है।
इन विमानों की डिलीवरी कब होगी?
इन विमानों की डिलीवरी वर्ष 2027-28 से शुरू होगी।
इस परियोजना में कितनी स्वदेशी सामग्री का उपयोग होगा?
इस परियोजना में 64 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग होगा।
मिग-21 का क्या होगा?
मिग-21 को 26 सितंबर को आधिकारिक रूप से सेवा से विदा किया जाएगा।
इस अनुबंध से कितने रोजगार उत्पन्न होंगे?
इस अनुबंध से लगभग 11,750 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।