क्या बीएचयू में हिंदी के समर्थन में प्रदर्शन हुआ?

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क्या बीएचयू में हिंदी के समर्थन में प्रदर्शन हुआ?

सारांश

वाराणसी में बीएचयू के छात्रों ने हिंदी भाषा का समर्थन करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। यह आंदोलन महाराष्ट्र में चल रहे हिंदी विरोधी गतिविधियों के खिलाफ एक सशक्त आवाज है। छात्रों ने अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए एकजुट होकर नारेबाजी की और अपनी मातृभाषा के प्रति श्रद्धा प्रकट की।

Key Takeaways

  • हिंदी हमारी पहचान है।
  • भाषा का अपमान सहन नहीं किया जाएगा।
  • हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए।
  • छात्रों का एकजुटता महत्वपूर्ण है।
  • संविधान ने हिंदी को राजभाषा स्वीकार किया है।

वाराणसी, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में चल रहे हिंदी विरोधी गतिविधियों और बयानों के खिलाफ अब उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आवाज उठने लगी है। बुधवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के छात्रों ने परिसर में प्रदर्शन करते हुए हिंदी भाषा के समर्थन में नारेबाजी की।

बीएचयू के छात्रों ने महाराष्ट्र के राजनीतिक दलों को स्पष्ट संदेश दिया कि हिंदी हमारी पहचान है और इसका अपमान सहन नहीं किया जाएगा।

बीएचयू के सिंहद्वार पर कुछ छात्रों ने बैनर-पोस्टर के साथ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना-यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ प्रदर्शन किया। छात्रों ने 'हिंदी विरोधी देशद्रोही' और 'मातृभाषा का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान' जैसे नारे लगाए।

बीएचयू के छात्र विपुल सिंह ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "हिंदी भाषा के समर्थन को लेकर हम लोग यहां आए हैं। हम महाराष्ट्र को यह संदेश देना चाहते हैं कि हिंदू, हिंदी और हिंदुस्तान हमारा परिचय है, इसलिए हम हिंदी के लिए मरते दम तक खड़े रहेंगे।"

एक अन्य बीएचयू छात्र विवेक सिंह ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "महाराष्ट्र में लगातार जो हिंदी विरोधी गतिविधियां चल रही हैं, उसके खिलाफ बीएचयू में प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में एक भाषा को बढ़ावा देने के लिए हिंदी भाषा का विरोध हो रहा है और हिंसा फैलाई जा रही है, ये बेहद निराशाजनक है।"

छात्र विवेक सिंह ने कहा, "हमारे विरोध का संदेश यही है कि हिंदी हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा है, संविधान ने इसे 'राजभाषा' स्वीकार किया है, इसलिए कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता है कि हम उसे स्वीकार नहीं करेंगे।"

बीएचयू छात्र ने कहा, "महाराष्ट्र में कुछ लोग कह रहे हैं कि कोई हिंदी बोलेगा तो हम हिंसा करेंगे, उन्हें ये ध्यान देना चाहिए कि अगर उत्तर प्रदेश और बिहार से विरोध की ज्वाला उठी तो ये महाराष्ट्र के लिए नुकसानदायक होगा।"

इस दौरान छात्र विवेक सिंह ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि देश की अखंडता पर कोई भी सवाल उठे।

Point of View

बल्कि हमारी पहचान और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। हिंदी को लेकर इस तरह का जोश और समर्थन दर्शाता है कि लोग अपने अधिकारों के प्रति कितने जागरूक हैं। यह आंदोलन न केवल हिंदी भाषियों की पहचान से जुड़ा है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

बीएचयू में प्रदर्शन का मुख्य कारण क्या था?
बीएचयू में प्रदर्शन का मुख्य कारण महाराष्ट्र में चल रहे हिंदी विरोधी गतिविधियों और बयानों के खिलाफ आवाज उठाना था।
छात्रों ने कौन से नारे लगाए?
छात्रों ने 'हिंदी विरोधी देशद्रोही' और 'मातृभाषा का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान' जैसे नारे लगाए।
इस प्रदर्शन का राष्ट्रीय भाषा के प्रति क्या संदेश है?
इस प्रदर्शन का संदेश है कि हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा है, और इसका अपमान सहन नहीं किया जाएगा।