क्या भूटान ने यूएनएससी में भारत और जापान की स्थायी सदस्यता की मांग दोहराई?

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क्या भूटान ने यूएनएससी में भारत और जापान की स्थायी सदस्यता की मांग दोहराई?

सारांश

भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने यूएनजीए में भारत और जापान को स्थायी सदस्यता देने की मांग को दोहराया। उन्होंने वैश्विक वास्तविकताओं के अनुरूप सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। यह कदम भूटान की बहुपक्षीयता की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

Key Takeaways

  • भूटान ने यूएनएससी में सुधार की मांग की है।
  • भारत और जापान को स्थायी सदस्यता का समर्थन किया गया है।
  • संयुक्त राष्ट्र को अधिक प्रभावी और उत्तरदायी बनाना जरूरी है।
  • भूटान की यह मांग वैश्विक राजनीति में नई संभावना को दर्शाती है।
  • भूटान का दृष्टिकोण बहुपक्षीयता की दिशा में है।

न्यूयॉर्क, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस) | संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 80वें सत्र में भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की अपनी मांग को फिर से उठाया।

उन्होंने कहा कि भारत और जापान को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने की आवश्यकता है ताकि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों को सही ढंग से दर्शाया जा सके।

महासभा को संबोधित करते हुए तोबगे ने संयुक्त राष्ट्र को एक ऐसा मंच बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया जो प्रस्तुतिकरण, उत्तरदायित्व और प्रभावशीलता में बेहतर हो।

उन्होंने कहा, "भूटान एक ऐसे संयुक्त राष्ट्र में विश्वास करता है जो प्रतिनिधित्वपूर्ण, उत्तरदायी और प्रभावी हो। हम ऐसे बहुपक्षवाद की कामना करते हैं जो केवल समाधान ही नहीं, बल्कि परिणाम भी प्रदान करे। यही कारण है कि भूटान संयुक्त राष्ट्र के सुधार का समर्थन करता है, जिसमें स्थायी और अस्थायी, दोनों प्रकार की सदस्यता का विस्तार शामिल है। सुरक्षा परिषद में भारत और जापान जैसे योग्य राष्ट्रों के अलावा अन्य सक्षम और अग्रणी देशों को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि आज की जटिल वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित किया जा सके।"

यह पहली बार नहीं है जब तोबगे ने भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। वे पहले भी भारत के आर्थिक विकास, कूटनीतिक नेतृत्व और वैश्विक दक्षिण में बढ़ती भूमिका को सुरक्षा परिषद में शामिल होने के लिए मजबूत योग्यता के रूप में रेखांकित कर चुके हैं।

भूटान लगातार यूएनएससी में सुधारों की वकालत करता रहा है और वर्तमान संरचना को प्रतिनिधित्वहीन बताता है। तोबगे ने फिर से कहा है कि सुरक्षा परिषद का वर्तमान स्वरूप "अतीत का अवशेष" है और इसे वर्तमान भू-राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य के अनुरूप बदला जाना चाहिए।

भूटान लंबे समय से यूएनएससी में सुधार की मांग कर रहा है ताकि इसे अधिक प्रभावशाली बनाया जा सके।

यूएनएससी में सुधार की यह मांग अन्य देशों द्वारा भी की गई है। भूटान ने भारत और जापान को स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन देकर इस मांग को और अधिक ऊंचा किया है।

-- राष्ट्र प्रेस

कनक/वीसी

Point of View

बल्कि समग्र रूप से यूएनएससी में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह दर्शाता है कि छोटे देश भी वैश्विक मंच पर अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं। हालांकि, यह देखना होगा कि अन्य देश इस मांग पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।
NationPress
27/09/2025

Frequently Asked Questions

यूएनएससी में सुधार की आवश्यकता क्यों है?
यूएनएससी की वर्तमान संरचना कई देशों को प्रतिनिधित्व नहीं देती है, जिससे इसकी प्रभावशीलता कम हो जाती है।
भूटान ने भारत और जापान का समर्थन क्यों किया?
भूटान का मानना है कि भारत और जापान जैसे देशों को उनकी वैश्विक भूमिका और योगदान के लिए स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।