क्या यमन ने इमरजेंसी लगाई और सऊदी ने यूएई को खतरनाक बताया?
सारांश
Key Takeaways
- यमन में 90 दिनों की इमरजेंसी लागू।
- यूएई के साथ रक्षा समझौते का रद्द होना।
- दक्षिणी अलगाववादियों का बढ़ता प्रभाव।
- सऊदी अरब द्वारा यूएई की कार्रवाइयों की निंदा।
- शांति वार्ता पर खतरा।
सना, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार की प्रेसिडेंशियल लीडरशिप काउंसिल (पीएलसी) ने 90 दिनों की इमरजेंसी की घोषणा की है। इसके साथ ही, यूएई के साथ संयुक्त रक्षा समझौते को समाप्त कर दिया गया और 72 घंटों के लिए हवाई, समुद्री और जमीनी रास्तों पर नाकाबंदी लागू की गई।
यमन में अलगाववादी समूह साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (एसटीसी) ने हाल ही में हदरामौत और महरा के बड़े हिस्सों पर कब्जा कर लिया है, जो कि अमीरात (यूएई) द्वारा समर्थित हैं। इसी संदर्भ में, पीएलसी ने ये निर्णय लिया। अलीमी ने इसे "अस्वीकार्य विद्रोह" करार दिया।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "यूनाइटेड अरब अमीरात के साथ जॉइंट डिफेंस एग्रीमेंट रद्द किया जाता है।"
प्रेसिडेंशियल लीडरशिप काउंसिल के अध्यक्ष रशद अल-अलीमी की यह घोषणा तब आई जब सऊदी के नेतृत्व वाला गठबंधन ने कहा कि उसने अलगाववादियों के लिए भेजे जा रहे यूएई के हथियारों की शिपमेंट पर हमला किया है।
यूएई के सहयोग वाली सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (एससीटी) की सेनाओं ने इस महीने यमन के दक्षिणी हिस्से में कब्जा कर लिया था, और संसाधनों से भरपूर हद्रामावत और पड़ोसी महरा के बड़े हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया।
अलीमी ने एससीटी को सऊदी समर्थित सेनाओं को क्षेत्र सौंपने का आदेश दिया, और टीवी पर दिए गए भाषण में अलगाववादियों की हिमाकत को "मंजूर नहीं किया जा सकने वाला विद्रोह" कहा।
इस टकराव से पहले से ही टूटी-फूटी यमनी सरकार के टूटने का खतरा बढ़ गया है, जिसके अलग-अलग गुटों को सऊदी अरब और यूएई का समर्थन हासिल है।
इससे ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के साथ धीमी गति से चल रही शांति वार्ता पर भी खतरा मंडरा रहा है, जिन्होंने 2014 में राजधानी सना से सरकार को हटा दिया था। इसके उत्तर में सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने सैन्य दखल दिया था।
सऊदी अरब ने यूएई की कार्रवाइयों को "अत्यंत खतरनाक" करार दिया है। यह घटना 2014 से चल रहे हूती विद्रोह और सऊदी-नीत गठबंधन के बीच तनाव को और बढ़ा सकती है, जो शांति वार्ताओं को प्रभावित कर सकती है। सभी पक्षों से कोई तत्काल हिंसक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा मंडराने लगा है।