बिहार चुनाव 2025: क्या कम्युनिस्टों के गढ़ बिभूतिपुर में एनडीए की जीत मुश्किल होगी?

सारांश
Key Takeaways
- बिभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति काफी दिलचस्प है।
- कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का गढ़ है यहाँ।
- 2020 के चुनाव में अजय कुमार ने जीत दर्ज की थी।
- आर्थिक गतिविधियों का आधार कृषि है।
- एनडीए को अपनी रणनीति को मजबूत करने की आवश्यकता है।
पटना, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार का समस्तीपुर जिला हमेशा से ही राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से सक्रिय रहा है। इस जिले के बिभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र पर कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की मजबूत स्थिति है। एनडीए की सहयोगी पार्टी जदयू सिर्फ एक बार इस सीट पर जीत हासिल कर सकी है, लेकिन पिछले चुनाव में वह इसे बरकरार नहीं रख पाई।
1967 में जब इस विधानसभा क्षेत्र की स्थापना हुई, तब से कई राजनीतिक दलों ने यहां शासन किया है। शुरुआत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) से हुई, जब परमानंद सिंह मदन पहले विधायक बने। इसके बाद, 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के गंगा प्रसाद श्रीवास्तव ने जीत दर्ज की।
1972 और 1977 में बंधू महतो ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जीत हासिल की। फिर 1980 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम) के रामदेव वर्मा विधायक बने और 1990 के बाद से लंबे समय तक वही इस सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे।
2010 और 2015 में जदयू के रामबालक सिंह ने सीट जीती, लेकिन 2020 में मतदाताओं ने फिर से वामपंथ को मौका दिया, जब सीपीआई-एम के अजय कुमार ने रामबालक सिंह को 40,496 वोटों के विशाल अंतर से हराया।
2020 का चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण था। मतदाताओं ने स्पष्ट रूप से परिवर्तन का चयन किया और अजय कुमार को भारी बहुमत दिया। सीपीआई-एम को 73,822 वोट मिले, जबकि जदयू के उम्मीदवार रामबालक सिंह को 33,326 वोट मिले। इस चुनाव में एलजेपी के चंद्रबली ठाकुर तीसरे स्थान पर रहे। उन्हें 28,811 वोट मिले। इस सीट का मतदान प्रतिशत 60.93 रहा। 2020 में इस सीट के लिए 384 मतदान केंद्र बनाए गए थे।
बिभूतिपुर पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्र है। 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां अनुसूचित जाति के 47,689, अनुसूचित जनजाति 108 और मुस्लिम मतदाता लगभग 16,974 हैं।
बिभूतिपुर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। यहां की उपजाऊ मिट्टी में धान, गेहूं, मक्का और दालों की भरपूर खेती होती है, जो क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों का आधार है। इसके अलावा, छोटे-छोटे उद्योग और हस्तशिल्प भी स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
बिभूतिपुर से लगभग 9 किलोमीटर दूर रोसड़ा नामक एक उपखंड स्तर का कस्बा है, जो क्षेत्रीय व्यापार और वाणिज्य का प्रमुख केंद्र माना जाता है। वहीं, जिला मुख्यालय समस्तीपुर 27 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि मंडल मुख्यालय दरभंगा सड़क मार्ग से लगभग 125 किलोमीटर दूर स्थित है। यह दूरी क्षेत्र के विकास और सुविधाओं के मामले में चुनौतियां भी लेकर आती है।
इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में बिभूतिपुर सीट पर राजनीतिक संघर्ष काफी रोचक होने वाला है। महागठबंधन, विशेषकर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) इस सीट पर स्पष्ट बढ़त बनाए हुए है, लेकिन यदि एनडीए अपनी रणनीति को मजबूत बनाए और जातिगत समीकरणों का सही संतुलन बनाकर सही उम्मीदवार मैदान में उतारे तो चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं।
बिभूतिपुर की राजनीति में जाति, संगठन और चुनावी रणनीति का समन्वय ही विजेता का निर्धारण करेगा। इसलिए उम्मीदवार की छवि, पार्टी की पकड़ और सामाजिक समीकरणों को समझना इस सीट पर जीत की कुंजी साबित होगा।