क्या विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के निर्णय पर आपत्ति जताई?

सारांश
Key Takeaways
- विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के निर्णय पर कड़ी आपत्ति जताई।
- समान अवसर का उल्लंघन हो रहा है।
- बिहार में 7.75 करोड़ मतदाता हैं।
- विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए।
- चुनाव आयोग की नीतियों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में चुनावों के नजदीक आने के बावजूद कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और 'इंडिया' ब्लॉक के अन्य दलों ने मतदाता सूची के ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (एसआईआर) के चुनाव आयोग के निर्णय पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की है। 18 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को निर्वाचन सदन में ईसीआई अधिकारियों से मुलाकात की और इस निर्णय पर अपनी चिंताओं को साझा करते हुए कहा कि यह समान अवसर के सिद्धांत का गंभीर उल्लंघन है।
चुनाव आयोग के अधिकारियों से चर्चा के बाद कांग्रेस नेता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राजद के मनोज झा, सीपीआई (एमएल) के दीपांकर भट्टाचार्य, बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार और अन्य नेताओं ने चुनाव आयोग के आदेश पर अपनी आपत्ति जताई, जिसमें बैठकों के लिए आयोग में आने वाले नेताओं की संख्या को सीमित किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक पार्टी के केवल दो प्रतिनिधियों को ही अनुमति दी जा सकती है। कुछ वरिष्ठ नेताओं, जैसे जयराम रमेश और पवन खेड़ा, को बाहर इंतजार करने के लिए कहा गया।
डॉ. सिंघवी ने यह भी कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के साथ अपनी बैठक में यह सवाल उठाया कि 2003 से बिहार में कई चुनाव हुए हैं, क्या वे सभी चुनाव गलत या अवैध थे? उन्होंने कहा कि यदि विशेष गहन पुनरीक्षण की आवश्यकता थी, तो इसकी घोषणा जून में क्यों की गई, जबकि बिहार में विधानसभा चुनाव केवल दो-तीन महीने में होने वाले हैं।
उन्होंने बताया कि बिहार में लगभग 7.75 करोड़ मतदाता हैं और इतने कम समय में उनका सत्यापन करना एक विशाल चुनौती होगी। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया कि पहली बार विभिन्न दस्तावेजों की मांग की जा रही है, जिन्हें वंचित और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए इतने कम समय में जुटाना व्यावहारिक रूप से असंभव होगा। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने इस साल जनवरी से कई घोषणाएं कीं, लेकिन कभी भी ‘एसआईआर’ का उल्लेख नहीं किया, जो अब अचानक किया गया है। यह एक गंभीर मुद्दा है और समान अवसर का स्पष्ट उल्लंघन है, जो चुनावों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।