क्या बिहार की मतदाता सूची पर किसी राजनीतिक दल ने आपत्ति नहीं की?

सारांश
Key Takeaways
- बिहार की मसौदा मतदाता सूची पर किसी भी राजनीतिक दल ने आपत्ति नहीं उठाई।
- चुनाव आयोग ने पारदर्शिता से काम करने का आश्वासन दिया है।
- मतदाता सूची में सुधार के लिए दावे और आपत्तियां दर्ज कराने की प्रक्रिया जारी है।
- बिहार ने मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 90,712 कर दी है।
- बिहार में स्वयंसेवकों की संख्या 1 लाख की जा रही है।
नई दिल्ली, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) बिहार की मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कर रहा है। नागरिकों को पूरी जानकारी प्रदान करने के लिए नियमित रूप से प्रेस नोट और विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को दैनिक बुलेटिन जारी करते हुए चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार की मसौदा मतदाता सूची के संबंध में पिछले 7 दिन में किसी भी राजनीतिक दल ने कोई आपत्ति नहीं उठाई है।
चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया कि बिहार की अंतिम मतदाता सूची में किसी भी पात्र मतदाता को छोड़ने और अपात्र मतदाता को शामिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस दिशा में 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने के लिए दावे और आपत्तियां दर्ज कराने का अवसर दिया गया है।
यह ध्यान देने योग्य है कि विपक्ष लगातार एसआईआर प्रक्रिया का विरोध कर रहा है और आरोप लगा रहा है कि बड़ी संख्या में लोगों को मतदाता सूची से बाहर करके उनके अधिकार छीन लिए जा रहे हैं, लेकिन मसौदा मतदाता सूची में नाम हटाने या सुधार को लेकर किसी भी राजनीतिक दल के बीएलए ने आपत्ति नहीं दर्ज की है। चुनाव आयोग ने बूथ-वार मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित की थी, जो सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा की गई।
चुनाव आयोग ने यह भी जानकारी दी कि बिहार के सभी 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने अपने बीएलए की संख्या 1,38,680 से बढ़ाकर 1,60,813 कर दी है।
इस बीच, बिहार ने लंबी कतारों से बचने के लिए प्रति बूथ मतदाताओं की संख्या 1,200 तक सीमित करने वाला पहला राज्य बनकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मतदान केंद्रों की संख्या 77,895 से बढ़ाकर 90,712 कर दी गई है। इसी तरह, बीएलओ की संख्या भी 77,895 से बढ़ाकर 90,712 कर दी गई है। बिहार के मतदाताओं की सहायता के लिए स्वयंसेवकों की संख्या भी 1 लाख की जा रही है।