क्या बिहार में मां जानकी मंदिर का निर्माण श्रद्धालुओं के लिए एक नया अध्याय है?

सारांश
Key Takeaways
- माता जानकी मंदिर का शिलान्यास अमित शाह ने किया।
- मंदिर का निर्माण मिथिला के लिए महत्वपूर्ण है।
- मंदिर का शिलान्यास श्रद्धालुओं में उत्साह पैदा कर रहा है।
- मंदिर निर्माण की लागत 882.87 करोड़ रुपए है।
- मंदिर के 2028 तक पूरा होने की संभावना है।
सीतामढ़ी, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बिहार के दौरे पर हैं। उन्होंने माता जानकी मंदिर का शिलान्यास और भूमि पूजन किया। इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उपस्थित रहे। जानकी मंदिर के शिलान्यास से श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल है।
देश के विभिन्न राज्यों से संत और श्रद्धालु यहां आए हैं। श्रद्धालु सीताराम के जयकारे लगाते हुए भजन-कीर्तन करते नजर आए। श्रद्धालुओं का कहना है कि यह मिथिलांचल वासियों के लिए सौभाग्य की बात है। आज का आनंद मापने के लिए नहीं है, इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
श्रद्धालु सुधांशु ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में धार्मिक स्थलों का विकास हो रहा है। पीएम मोदी के कार्यकाल में अयोध्या और रामेश्वरम का अद्भुत विकास हुआ है। कहा जाता है कि सीता के बिना राम अधूरे हैं, इसलिए अब जानकी मंदिर का भव्य निर्माण होना है। हम सभी की यह इच्छा थी कि अयोध्या की तरह मां सीता के मंदिर का निर्माण हो। भक्तों की भीड़ यहां जुटी है, सभी लोग सरकार का धन्यवाद करने और माता किशोरी से आशीर्वाद लेने आए हैं। हमारे पूर्वजों द्वारा लड़ी गई लड़ाई अब पूरी हो रही है। यहां हर्ष और खुशी का माहौल है। सरकार हिंदुत्व के झंडे को मजबूत कर रही है। सभी सनातनी इसके लिए सरकार का आभार व्यक्त कर रहे हैं।
एक अन्य श्रद्धालु ने कहा कि यह एक बहुप्रतीक्षित योजना है। अयोध्या एक राजनीतिक प्रकरण था, लेकिन मां जानकी का मंदिर बिना किसी राजनीति और भेदभाव के बनना है। मां जानकी के मंदिर निर्माण का सपना अब पूरा होने वाला है। मिथिला के लोगों के लिए इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है।
श्रद्धालु हिमांशु ने कहा कि यह हमारे लिए परम सौभाग्य की बात है कि जगत जननी मां जानकी का मंदिर बन रहा है। यह इतनी पावन भूमि है कि यहां आकर लोग पुण्य प्राप्त कर लेते हैं।
ध्यान दें कि, देवी सीता को समर्पित यह मंदिर मिथिला क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान है। इसे बिहार की अयोध्या कहा जाता है। मंदिर परिसर को तैयार करने की अनुमानित लागत 882.87 करोड़ रुपए है। इसे 67 एकड़ में बनाया जाएगा, जिसमें 151 फीट ऊंचा गर्भगृह इसका केंद्रीय ढांचा होगा। मंदिर के 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है, और बिहार पर्यटन विभाग इसके विकास कार्यों का नेतृत्व करेगा।