क्या बिहार में बाढ़ के खतरे को लेकर तटबंधों की निगरानी की जा रही है?

सारांश
Key Takeaways
- बिहार में बाढ़ की संभावनाओं से निपटने के लिए उचित तैयारी की गई है।
- अतिसंवेदनशील स्थलों की विशेष निगरानी की जा रही है।
- बाढ़ सुरक्षा बलों का गठन किया गया है।
- जल एवं मौसम विभाग से सहयोग प्राप्त किया जा रहा है।
- बाढ़ से बचाव के लिए सामग्रियों का भंडारण किया गया है।
पटना, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में संभावित बाढ़ की चुनौतियों से निपटने के लिए जल संसाधन विभाग ने अपनी तैयारियों को पूर्ण कर लिया है। विभाग का कहना है कि विभिन्न नदियों पर स्थित अतिसंवेदनशील स्थलों की पहचान कर बाढ़ से पहले कटाव निरोधक कार्य पूरे किए गए हैं।
बाढ़ के दौरान खतरनाक और संवेदनशील स्थलों पर पर्याप्त मात्रा में बाढ़ संघर्षात्मक सामग्रियों का भंडारण किया गया है।
राज्य के विभिन्न जिलों में चिन्हित किए गए अतिसंवेदनशील और संवेदनशील स्थलों की विशेष निगरानी के लिए इंतजाम किए गए हैं। बाढ़ से बचाव के लिए राज्य की विभिन्न नदियों में कटाव निरोधक कार्य पूरी तरह संपन्न हो चुके हैं, जिनमें गंगा, कोसी, गंडक, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान और महानंदा नदी बेसिन शामिल हैं।
विभाग के अनुसार, खतरनाक और अतिसंवेदनशील स्थलों पर तटबंध एम्बुलेंस की तैनाती की गई है, जिसमें एक ट्रैक्टर पर पोर्टेबल जेनरेटर, हैलोजन लाइट, ईसी बैग, नायलन क्रेट, खाली जिओ बैग एवं फिल्टर मटेरियल के साथ कम से कम दस मजदूरों को तैनात किया गया है।
बाढ़ संभावित इलाके के 3,808 किलोमीटर के तटबंध की निगरानी के लिए प्रत्येक एक किलोमीटर पर एक तटबंध श्रमिक की तैनाती की गई है। तटबंधों पर निगरानी एवं चौकसी के लिए पदाधिकारियों एवं श्रमिकों के अस्थायी आवासन, शौचालय एवं पेयजल की व्यवस्था की गई है।
बाढ़ के दौरान खतरनाक तटबंधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनुभवी और सेवानिवृत्त अभियंताओं की अध्यक्षता में कुल 11 बाढ़ सुरक्षा बलों का गठन किया गया है।
विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पड़ोसी देश नेपाल में कोसी बराज एवं तटबंधों पर बाढ़ सुरक्षा के कार्य कराए जा चुके हैं। नेपाल के जल एवं मौसम विभाग से नेपाल-उत्तर बिहार के विभिन्न नदी बेसिन में होने वाले वास्तविक वर्षापात और वर्षा के पूर्वानुमान की जानकारी प्राप्त की जा रही है।
बिहार के जल संसाधन विभाग के मंत्री विजय कुमार चौधरी का कहना है, "बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सतत निगरानी के बिना कोई विकल्प नहीं है। हर तटबंध का निरीक्षण किया गया है और सभी स्थलों तक पहुँच सुनिश्चित की गई है। तटबंधों के आसपास के जर्जर पुल एवं पुलियों की भी रिपोर्ट तैयार की गई है।"