क्या लाहौर दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है?
सारांश
Key Takeaways
- लाहौर का एक्यूआई 353 है, जो इसे सबसे प्रदूषित शहर बनाता है।
- क्वेटा का एक्यूआई 517 है, जो एक और चिंताजनक स्थिति है।
- खराब हवा की गुणवत्ता स्थानीय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
- जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण मिलकर समस्या को और बढ़ा रहे हैं।
- पाकिस्तान का एचडीआई 0.544 है, जो इसकी विकासशील स्थिति को दर्शाता है।
इस्लामाबाद, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान का लाहौर शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में अग्रणी स्थान पर है। स्विस एयर क्वालिटी मॉनिटर आईक्यूएयर के आंकड़ों के अनुसार, लाहौर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 से ऊपर है। यह वैश्विक प्रदूषण चार्ट में भी शीर्ष पर है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के अन्य शहरों में भी गंदगी और हवा की गुणवत्ता बहुत खराब है।
लाहौर का एक्यूआई 353 है, जो इसे दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में पहले स्थान पर रखता है। क्वेटा ने सुबह के समय सबसे प्रदूषित शहर का खिताब अपने नाम किया, जहाँ एक्यूआई 517 दर्ज किया गया। एआरवाई न्यूज के अनुसार, रहीम यार खान, गुजरांवाला और फैसलाबाद में भी हवा की गुणवत्ता चिंताजनक स्तर पर है। इसके अलावा, खैबर पख्तूनख्वा और दक्षिणी पंजाब के मैदानी क्षेत्रों में घने कोहरे ने विजिबिलिटी को कम कर दिया है।
खराब विजिबिलिटी के चलते कई मोटरवे के हिस्से बंद कर दिए गए हैं। 2024 में कुछ दिनों तक लाहौर कोहरे में ढका रहा। यह वास्तव में कोहरे और प्रदूषण का मिश्रण था, जो घटिया क्वालिटी के डीजल के धुएं और मौसमी खेती से उत्पन्न धुएं के कारण हुआ।
लाहौर में हवा का प्रदूषण एक बार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित सामान्य स्तर से 80 गुना अधिक हो गया था। नवंबर की शुरुआत में एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान वैश्विक स्तर पर 168वीं रैंकिंग पर है और क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स में 2026 में 15वीं रैंकिंग पर पहुंच जाएगा। पाकिस्तान का ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (एचडीआई) 0.544 है।
बढ़ते तापमान के कारण गर्मी और पानी की कमी हो रही है, विशेषकर सूखे क्षेत्रों में, जिससे कृषि उत्पादन पर प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा, परिवहन, उद्योग और कृषि से होने वाला वायु प्रदूषण कोहरा उत्पन्न कर रहा है, जो एविएशन पर नकारात्मक असर डाल रहा है। यह विजिबिलिटी को कम करता है और श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बनता है।
अब्दुल वहीद भुट्टो की नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन शमन और सतत संसाधन प्रबंधन पर कई पब्लिकेशन्स हैं। उन्होंने द डिप्लोमैट में लिखा, "कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सलाहकार और समीक्षा समितियों में काम किया है।"
द डिप्लोमैट की एक रिपोर्ट में, अब्दुल वहीद भुट्टो ने उल्लेख किया कि "देश का सीमित जंगल का क्षेत्र लगातार घटता जा रहा है, और सिंधु डेल्टा में खारे पानी का घुसाव तटीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचा रहा है। इससे मैंग्रोव, मछली पालन और कृषि को नुकसान हो रहा है। समुद्र स्तर का बढ़ना और तूफान की गतिविधियाँ तटीय जनसंख्या को अधिक खतरे में डाल रही हैं। पानी के बंटवारे को लेकर बढ़ते तनाव, जन स्वास्थ्य संकट और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले प्रवासन पाकिस्तान की विफलता को उजागर करते हैं।"
—राष्ट्र प्रेस
केके/एएस