क्या शेयर बाजार लगातार तीसरे दिन लाल निशान में बंद हुआ? सेंसेक्स में 275 अंकों की गिरावट
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय शेयर बाजार ने लगातार तीसरे दिन गिरावट का सामना किया।
- सेंसेक्स में 275 अंकों की कमी आई।
- निवेशकों ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले सतर्कता बरती।
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार पर दबाव पड़ा।
- बाजार की दिशा केंद्रीय बैंकों के संकेतों पर निर्भर करेगी।
मुंबई, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय शेयर बाजार ने इस सप्ताह के तीसरे कारोबारी दिन बुधवार को लाल निशान में समापन किया। यह लगातार तीसरा सत्र है जब घरेलू बाजार में गिरावट का सामना करना पड़ा। कारोबार के दौरान सेंसेक्स 300 अंकों से अधिक नीचे गिर गया। वहीं, निफ्टी 25,750 के नीचे बंद हुआ।
कारोबारी सत्र के अंत में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 275.01 अंकों यानी 0.32 प्रतिशत की गिरावट के साथ 84,391.27 पर और 50 शेयरों वाला एनएसई निफ्टी 81.65 अंक या 0.32 प्रतिशत गिरकर 25,758 पर रहा।
दिनभर में घरेलू बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। हरे निशान में खुलने के बाद बाजार पर बिकवाली का दबाव हावी हो गया और अंततः स्टॉक मार्केट लाल निशान में बंद हुआ। यह लगातार तीसरा दिन है जब सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में गिरावट आई है।
आज अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजों से पहले निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया है। इसके अतिरिक्त, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली ने भी बाजार के सेंटीमेंट को कमजोर किया। बीएसई मिडकैप इंडेक्स 0.90 प्रतिशत तक लुढ़क गया, जबकि स्मॉलकैप शेयरों में 0.42 प्रतिशत की गिरावट आई।
सेंसेक्स के 30 में से 19 शेयरों में बिकवाली का सामना करना पड़ा, जबकि बैंक निफ्टी के 12 में से 8 शेयरों में बिकवाली का दबाव रहा। निफ्टी के 50 में से 29 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई।
बीएसई सेंसेक्स में टाटा स्टील, सनफार्मा, आईटीसी, एनटीपीसी और एचसीएल टेक जैसे शेयर टॉप गेनर्स रहे, जबकि इटरनल, ट्रेंट, भारती एयरटेल, इन्फोसिस जैसे शेयरों में बिकवाली का दबाव अधिक था।
विशेषज्ञों ने बताया कि वैश्विक शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव जारी है, क्योंकि जापान में बॉन्ड यील्ड बढ़ रही है और बैंक ऑफ जापान की कड़ी मौद्रिक नीति के संकेत मिल रहे हैं। इससे उभरते बाजारों में निवेशकों का भरोसा कुछ कमजोर हुआ है और वे जोखिम लेने से बच रहे हैं।
अब सभी की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक पर है, जहां अपेक्षा की जा रही है कि ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। हालांकि, फेड के अंदर विभिन्न मत और मिले-जुले आर्थिक संकेतों के कारण 2026 में और दर कटौती की उम्मीदें कुछ सीमित हो सकती हैं।
विशेषज्ञों ने आगे कहा कि भारतीय स्टॉक मार्केट में विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, रुपया की कमजोरी और अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता को लेकर अनिश्चितता ने बाजार की चाल को दबाव में रखा है। निकट भविष्य में बाजार की दिशा केंद्रीय बैंकों के संकेतों और व्यापार से जुड़े मुद्दों पर स्पष्टता पर निर्भर करेगी।