क्या संसद में 'चुनाव सुधार' पर चर्चा के बाद विपक्षी सांसदों का आरोप सही है कि निर्वाचन आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है
- चुनाव सुधारों की आवश्यकता है
- विपक्ष का आरोप गंभीर है
- पारदर्शिता चुनावी प्रक्रिया का आधार है
- मतदाता का विश्वास बढ़ाना आवश्यक है
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद में ‘चुनाव सुधारों’ पर चर्चा के बावजूद, विपक्षी दल निरंतर निर्वाचन आयोग और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को निशाना बना रहे हैं। इसी संदर्भ में, बुधवार को कांग्रेस और टीएमसी के सांसदों ने कहा कि निर्वाचन आयोग पूरी तरह से भाजपा के इशारे पर कार्य कर रहा है।
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि यह निर्वाचन आयोग पर निर्भर करता है कि वह सभी टिप्पणियों को ध्यान में लेकर उचित कार्रवाई करे।
उन्होंने कहा, "यह अच्छी बात है कि इस मुद्दे पर खुली चर्चा हो रही है। कई सदस्यों ने अत्यंत महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की हैं। मैं चाहता हूं कि निर्वाचन आयोग और अधिक पारदर्शी और सक्रिय हो, न कि कानूनी तकनीकी मुद्दों और प्रक्रियाओं के पीछे छिपा रहे। निर्वाचन आयोग को कम अस्पष्टता और अधिक संवादशीलता दिखानी चाहिए, ताकि चुनावी प्रक्रिया और अधिक निष्पक्ष हो सके।"
टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग भाजपा का गुलाम बन चुका है। उन्होंने कहा, "चुनाव सुधार पर चर्चा इसलिए जरूरी थी क्योंकि निर्वाचन आयोग पूरी तरह से भाजपा के इशारे पर चल रहा है। निर्वाचन आयोग कई राज्यों में एसआईआर जल्दबाजी में करवा रहा है। क्या इन्हें नहीं पता कि 2026 में इन राज्यों में चुनाव होने हैं?"
सुष्मिता देव ने कहा, "आप एक महीने में ही एसआईआर कराकर जनता पर दवाब डाल रहे हैं। मतदाता सूची की समीक्षा हो सकती है, लेकिन आप किस प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं? हम सुप्रीम कोर्ट गए, आधार कार्ड का आदेश लेकर आए।"
वहीं, कांग्रेस सांसद अमर सिंह ने कहा कि राहुल गांधी के प्रश्नों का निर्वाचन आयोग उत्तर नहीं देता, बल्कि उनकी जगह भाजपा उत्तर देती है। इसलिए हमारा आरोप है कि निर्वाचन आयोग भाजपा के इशारे पर कार्य करता है और उस पार्टी को जीतने में मदद करता है।
उन्होंने कहा, "राहुल गांधी 'चुनाव सुधार' की बात करते हैं। उन्होंने सबूत के साथ बात रखी है। कर्नाटक, हरियाणा और महाराष्ट्र का आंकड़ा निकालकर बताया है कि कितने फर्जी वोट बने हैं। लोगों के नाम दो-दो सौ बार दर्ज हैं। एक ही घर में पांच-पांच सौ लोगों के रहने का रिकॉर्ड दिखाया गया है।"