क्या बिहार में भाजपा नेता की हत्या ने नीतीश कुमार की सरकार की असलियत उजागर कर दी?

सारांश
Key Takeaways
- सुरेंद्र केवट की हत्या ने बिहार में राजनीतिक तनाव बढ़ा दिया है।
- मनोज झा ने कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
- नीतीश कुमार की सरकार पर तेजस्वी यादव द्वारा लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं।
- मतदाता सूची पुनरीक्षण का मामला सर्वोच्च न्यायालय में है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी रोजगार के मुद्दे को लेकर सवाल उठाए गए।
नई दिल्ली, 13 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के पटना जिले में भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र केवट की गोली मारकर हत्या के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने नीतीश कुमार सरकार पर तीखा आक्रमण किया है। उन्होंने कहा कि राज्य में अपराध का कोई दिन खाली नहीं जाता।
मनोज झा ने राष्ट्र प्रेस से खास बातचीत में इस हत्या को चिराग पासवान के हालिया सवालों से जोड़ते हुए कहा, "चिराग पासवान, जो केंद्र में मंत्री हैं, पूछ रहे हैं कि यह हो क्या रहा है? उन्हें सीधे गृह मंत्री से बात करनी चाहिए। बिहार को क्या बना दिया गया है? लोग यही कहेंगे कि चिराग तले अंधेरा।"
उन्होंने बिहार की कानून व्यवस्था को पूरी तरह चरमराया हुआ बताया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "बिहार में अब कानून का राज नहीं, बल्कि अपराधियों का राज चल रहा है। राज्य ऑटो पायलट मोड में है, जहां हर पल अशांति है। कोई भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं है।"
उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का हवाला देते हुए कहा कि वे लगातार बिहार की स्थिति को लेकर सरकार को चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन सरकार जवाब देने में नाकाम है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक करोड़ नौकरियों की घोषणा पर भी झा ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "यह घोषणा नीतीश कुमार ने खुद नहीं की। तेजस्वी यादव के डिप्टी सीएम कार्यकाल को हटा दें, तो कितनी नौकरियां दी गईं? यह झूठ किससे बोला जा रहा है?"
झा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि 2014 में पीएम ने हर साल 2 करोड़ नौकरियों का वादा किया था, लेकिन 11 साल में 22 करोड़ तो छोड़िए, 22 लाख नौकरियों का भी हिसाब नहीं है।
उन्होंने आगे कहा, "ऐसे देश नहीं चलता।" महागठबंधन की बैठक को लेकर झा ने कहा कि समन्वय समिति ने प्रगति की समीक्षा की और सीट बंटवारे का फैसला प्रगति के आधार पर होगा।
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर उन्होंने कहा कि यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में है और अदालत की निगरानी में ही सब कुछ होगा।