क्या बिहार में एसआईआर प्रक्रिया में सिर्फ एक पार्टी ने ही आपत्ति दर्ज कराई?

सारांश
Key Takeaways
- सीपीआई-एमएल (लिबरेशन) ने 9 दावे और आपत्तियां दर्ज की हैं।
- कांग्रेस और राजद अभी तक इस प्रक्रिया से दूर हैं।
- चुनाव आयोग ने 99,656 दावे और आपत्तियां दर्ज की हैं।
- आवेदन के 7 दिन बाद दावों का निपटारा किया जाता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को सहयोग देने का निर्देश दिया है।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत दावे और आपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया में एकमात्र राजनीतिक दल सीपीआई-एमएल (लिबरेशन) ने आवेदन दिया है। इस दल की ओर से कुल 9 दावे और आपत्तियां दर्ज की गई हैं। हालांकि, कांग्रेस और राजद जैसे प्रमुख विपक्षी दल अभी तक इस प्रक्रिया से दूर नजर आ रहे हैं, जो एसआईआर प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग पर लगातार सवाल उठा रहे थे।
चुनाव आयोग ने शनिवार को दैनिक बुलेटिन में जानकारी दी कि सीधे मतदाताओं की ओर से मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के संबंध में त्रुटियों को लेकर कुल 99,656 दावे और आपत्ति दर्ज हुई हैं। 7 दिन के भीतर चुनाव आयोग इनमें से 7,367 दावे और आपत्तियों का निपटारा कर चुका है। इसके अलावा, चुनाव आयोग में 18 साल की आयु पूर्ण करने वाले और नए मतदाता के तौर पर 2,83,042 लोगों ने फॉर्म-6 और घोषणापत्र जमा किए हैं। इनमें राजनीतिक दलों के बीएलए द्वारा जमा 6 प्रपत्र भी शामिल हैं।
चुनाव आयोग ने एक अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी करने के साथ इसमें त्रुटियों को दूर करने के लिए एक महीने की प्रक्रिया शुरू की। 9 दिन बाद दावे और आपत्ति दर्ज कराने की यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। आवेदन के 7 दिन बाद चुनाव आयोग इन दावों और आपत्तियों का निपटारा करता है।
नियमों के अनुसार, दावे और आपत्तियों का निस्तारण संबंधित ईआरओ और एईआरओ की ओर से पात्रता के सत्यापन के बाद 7 दिन की नोटिस अवधि पूरी होने से पहले नहीं किया जाएगा। एसआईआर आदेशों के अनुसार, 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित प्रारूप सूची से किसी भी नाम को बिना जांच-पड़ताल और स्पीकिंग आदेश के हटा नहीं सकते हैं।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद कांग्रेस और राजद जैसी पार्टियां एसआईआर प्रक्रिया में सहयोग से दूरी बनाए हुए हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एसआईआर प्रक्रिया पर एक फैसला सुनाते हुए बिहार के सभी 12 राजनीतिक दलों को पक्षकार बनाया। कोर्ट ने राजनीतिक दलों से कहा कि वे अपने कार्यकर्ताओं को यह निर्देश दें कि वे एसआईआर प्रक्रिया के तहत मतदाताओं के आवेदन भरने में सहायता करें।