क्या बिहार में साइबर अपराध के मामले तीन गुना बढ़ गए हैं?

सारांश
Key Takeaways
- साइबर अपराध के मामलों में तीन गुना वृद्धि
- एनएफएसयू के साथ समझौता की गई है
- साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थापना
- जांच की गुणवत्ता में सुधार
- अपराधियों में कानून का भय
पटना, 13 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पिछले तीन वर्षों में बिहार में साइबर अपराध की घटनाओं में तीन गुना से अधिक वृद्धि हुई है। इस दौरान, साइबर अपराध के मामलों की जांच के लिए राष्ट्रीय महत्व के संस्थान एनएफएसयू, गांधीनगर के साथ अपराध अनुसंधान विभाग ने एक समझौता किया है।
बिहार अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक पारसनाथ ने कहा कि इस समझौते के अंतर्गत एनएफएसयू की टीम बिहार में दो साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थापना में मदद करेगी। इससे साइबर अपराधों से संबंधित प्रदर्शनों की जांच में तेजी आएगी और प्रशिक्षित मानव बल से जांच की गुणवत्ता में सुधार होगा।
बताया गया कि अपराधी अक्सर फोन कॉल, ईमेल, सोशल मीडिया या फर्जी वेबसाइटों के माध्यम से लोगों को धोखा देकर उनके बैंक खातों, पासवर्ड या ओटीपी की जानकारी प्राप्त करते हैं और पैसों की हेराफेरी करते हैं। आंकड़ों के अनुसार, बिहार में वर्ष 2022 में साइबर अपराध के 1,606 मामले दर्ज किए गए। यह संख्या वर्ष 2023 में 200 प्रतिशत बढ़कर 4,801 हो गई। वर्ष 2024 में बिहार में 5,712 मामले दर्ज किए गए और वर्ष 2025 में मई के अंत तक 3,258 मामले दर्ज हो चुके हैं।
बिहार अपराध अनुसंधान विभाग के मुताबिक, इन मामलों की जांच के लिए तकनीक की आवश्यकता है। इसके लिए विधि-विज्ञान प्रयोगशाला की क्षमता बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। राज्य सरकार ने पटना और राजगीर में एक-एक साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला स्थापित करने की स्वीकृति दी है। इसमें राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गांधीनगर को परामर्शी के रूप में नामित किया गया है।
इस समझौते से अपराधों की जांच में न केवल तेजी आएगी, बल्कि प्रशिक्षित मानव बल से जांच की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। इससे साइबर अपराध से संबंधित मामलों का अनुसंधान तेजी से किया जा सकेगा, जिससे अपराधियों में कानून का भय उत्पन्न होगा और अपराध नियंत्रण में मदद मिलेगी।