क्या हर घर तिरंगा अभियान के तहत बिलासपुर में बिहार की दीदियों को मिला डेढ़ लाख तिरंगों का ऑर्डर?

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क्या हर घर तिरंगा अभियान के तहत बिलासपुर में बिहार की दीदियों को मिला डेढ़ लाख तिरंगों का ऑर्डर?

सारांश

बिलासपुर में 'हर घर तिरंगा' अभियान के तहत बिहान की दीदियों को डेढ़ लाख तिरंगे बनाने का ऑर्डर मिला है। यह पहल न केवल देश सेवा में है, बल्कि महिलाओं की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रही है। जानिए कैसे ये दीदियां अपने सामर्थ्य से देशभक्ति का प्रतीक बन रही हैं।

Key Takeaways

  • हर घर तिरंगा अभियान देशभक्ति को प्रोत्साहित करता है।
  • महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं।
  • तिरंगे का निर्माण एक आर्थिक अवसर है।
  • समुदाय की भागीदारी से देशभक्ति का विकास होता है।
  • स्व-सहायता समूहों का योगदान महत्वपूर्ण है।

बिलासपुर, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में बिहान की दीदियों को 'हर घर तिरंगा' अभियान के अंतर्गत डेढ़ लाख तिरंगे बनाने का ऑर्डर प्राप्त हुआ है। ये महिलाएं न केवल देश की सेवा में जुटी हैं बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ कर रही हैं। समूह की महिलाओं ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री का धन्यवाद व्यक्त किया है।

बिलासपुर जिले के गनियारी में स्थित नारी शक्ति गारमेंट फैक्ट्री देशभक्ति के रंग में रंगी हुई है, जहां बिहान योजना से जुड़ी 30 स्व-सहायता समूहों की 100 से अधिक महिलाएं तिरंगे के निर्माण में लगी हैं। देशभर में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत 'हर घर तिरंगा' अभियान का आयोजन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इस दिशा में समूह की महिलाओं ने देशभक्ति के कार्य में भागीदारी से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है।

सूचना के अनुसार, गनियारी स्थित नारी शक्ति गारमेंट फैक्ट्री में स्व सहायता समूह की महिलाओं को लगभग 1.50 लाख से अधिक तिरंगे तैयार करने का लक्ष्य मिला है, जो विभिन्न संस्थानों और आम जनता तक पहुंचाए जाएंगे। 'हर घर तिरंगा' अभियान के तहत लोगों को अपने घरों, दुकानों, और कार्यालयों पर तिरंगा लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। तिरंगे की बढ़ती मांग को पूरा करने की जिम्मेदारी इन समूह की दीदियों ने संभाली है। तिरंगा निर्माण कर रही स्व-सहायता समूहों की महिलाएं इस कार्य को केवल एक आर्थिक अवसर के रूप में नहीं, बल्कि देशभक्ति और आत्मसम्मान का प्रतीक मानती हैं।

नारी शक्ति गारमेंट फैक्ट्री गनियारी क्लस्टर की पीआरपी संतोषी साहे ने बताया कि तिरंगे के निर्माण के साथ-साथ हम लोगों ने बैज भी तैयार किए हैं। बिलासपुर जिले में दो लाख दीदी समूह से जुड़ चुकी हैं। उत्पादों की बिक्री के परिणामस्वरूप समूह की दीदियों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है।

जिला पंचायत के सीईओ संदीप अग्रवाल ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से हर घर तिरंगा अभियान का आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत सभी प्रदेशवासियों को इस अभियान से जुड़ने की आवश्यकता है। इसी क्रम में बिहान की दीदियों द्वारा तिरंगे का निर्माण कर बिक्री की जा रही है। जिला पंचायत परिसर में समूह द्वारा लगाए गए स्टॉल के माध्यम से तिरंगे की बिक्री की जा रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि इस वर्ष करीब डेढ़ लाख तिरंगों का विक्रय होगा। एक झंडे की लागत लगभग 18 रुपये होती है, जिसे होलसेल में 25 और रिटेल में 30 रुपये में बेचा जा रहा है।

Point of View

बल्कि यह देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी और प्रेम को भी दर्शाता है। 'हर घर तिरंगा' अभियान का यह उदाहरण हमें बताता है कि जब महिलाएं एकजुट होती हैं, तो वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं।
NationPress
11/08/2025

Frequently Asked Questions

हर घर तिरंगा अभियान क्या है?
यह अभियान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में चलाया जा रहा है, जिसमें सभी नागरिकों को अपने घरों में तिरंगा लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
बिलासपुर में दीदियों को तिरंगा बनाने का ऑर्डर क्यों मिला?
यह ऑर्डर दीदियों की मेहनत और स्व-सहायता समूहों की सक्रियता के कारण मिला है, जिससे वे आर्थिक रूप से भी सशक्त हो रही हैं।
तिरंगे की लागत कितनी है?
एक तिरंगे की लागत लगभग 18 रुपये होती है, जिसे होलसेल में 25 और रिटेल में 30 रुपये में बेचा जाता है।