क्या भाजपा विधायक करनैल सिंह का दावा सही है कि 'शकूरबस्ती का नाम बदलना चाहते हैं इलाके के 60 हजार लोग'?

सारांश
Key Takeaways
- शकूरबस्ती का नाम बदलने की मांग कर रहे हैं 60 हजार लोग।
- विकास के कारण नाम परिवर्तन की आवश्यकता।
- यह मुद्दा राजनीतिक नहीं है, बल्कि स्थानीय भावना।
- भाजपा का काम करने का दावा।
- कानून व्यवस्था बनाए रखने की आवश्यकता।
नई दिल्ली, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा विधायक करनैल सिंह ने मंगलवार को यह बताया कि शकूरबस्ती के अधिकांश निवासी इस क्षेत्र का नाम बदलने के लिए एकमत हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि अब तक 60 हजार लोग इस नाम परिवर्तन के समर्थन में आ चुके हैं। विधायक ने इस संबंध में एक फॉर्म के माध्यम से जनमत संग्रह शुरू किया है, जिस पर अब तक 60 हजार लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि पहले इस क्षेत्र में झुग्गी-झोपड़ियां थीं, जिसके कारण इसका नाम शकूरबस्ती रखा गया था। लेकिन अब यहाँ चारों ओर विकास हुआ है, और बड़े-बड़े घर यहाँ के विकास को दर्शाते हैं। इस स्थिति में, हमने नाम परिवर्तन का निर्णय लिया है और इसके लिए स्थानीय लोगों का समर्थन मांगा है। मैं चाहता हूँ कि मेरे विधानसभा क्षेत्र के 70 प्रतिशत लोग इस नाम परिवर्तन में समर्थन दें, ताकि आगे की प्रक्रिया सरल हो सके।
उन्होंने कहा कि मैं इस समर्थन को विधानसभा में उठाऊंगा और अपनी सरकार के सामने रखूँगा, ताकि उन्हें पता चले कि यहाँ के लोग अपनी क्षेत्र का नाम बदलना चाहते हैं। इसके अलावा, मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। ऐसा कहने का कारण यह है कि कुछ लोग केवल यही कहते हैं कि भाजपा काम नहीं करती, लेकिन यह सच नहीं है। भाजपा एक कामकाजी पार्टी है।
उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक विषय नहीं है। यदि कोई इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से देखता है, तो यह उसकी गलतफहमी है। यहाँ के लोगों की भावना है कि इस विधानसभा क्षेत्र का नाम बदला जाए, क्योंकि यहाँ विकास हो रहा है।
इसके अलावा, कांवड़ यात्रा के दौरान दिल्ली में मीट की दुकानों को बंद कराने के लिए भाजपा के कई विधायकों ने दिल्ली सरकार को पत्र लिखा है। इस पर भाजपा विधायक करनैल सिंह ने कहा कि हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कांवड़ यात्रा के मार्ग में कोई दुकान न खुले और इस दौरान कानून व्यवस्था भी बनी रहे।
बातचीत के अंत में, उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान किए जाने पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "मल्लिकार्जुन खड़गे जो भी कहते हैं, मैं उनकी बातों को इसलिए नहीं मानता क्योंकि ये लोग केवल राजनीति करते हैं।"