क्या चंडीगढ़ से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक पर भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया?

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क्या चंडीगढ़ से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक पर भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया?

सारांश

चंडीगढ़ में संविधान संशोधन विधेयक पर घमासान छिड़ा है। पंजाब के राजनीतिक दल इसे राज्य के अधिकारों पर हमला मानते हैं, जबकि भाजपा इसे सकारात्मक बदलाव बताती है। क्या ये विवाद पंजाब के भविष्य को प्रभावित करेगा?

Key Takeaways

  • संविधान संशोधन विधेयक चंडीगढ़ में नई व्यवस्थाओं के लिए लाया जा रहा है।
  • भाजपा विपक्ष के आरोपों को निराधार मानती है।
  • पंजाब के राजनीतिक दल इसे राज्य के अधिकारों पर हमला मान रहे हैं।
  • मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे पंजाब के हितों के विरुद्ध बताया है।
  • अकाली दल का विरोध इसे पंजाब विरोधी बताता है।

चंडीगढ़, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक लाने की तैयारी के बीच राजनीतिक गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। पंजाब के विभिन्न राजनीतिक दल इसे राज्य के अधिकारों पर एक हमला मान रहे हैं। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता विपक्ष के आरोपों को निराधार बताते हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "संविधान संशोधन विधेयक चंडीगढ़ में नई व्यवस्थाओं के लिए सुविधाजनक बदलाव के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। चंडीगढ़ की व्यवस्थाओं या प्रशासनिक स्तर पर कोई भी बदलाव संसद के माध्यम से होता आया है, जिसमें समय लगता है। लेकिन नए संशोधन में राष्ट्रपति की सहमति पर बदलाव की प्रक्रिया का प्रावधान होगा। इससे अलग कोई अन्य विषय नहीं है।"

आरपी सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष के लोग अपनी राजनीति में चमक लाने के लिए विरोध कर रहे हैं।

भाजपा की पंजाब इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़ ने 'एक्स' पर लिखा, "चंडीगढ़ पंजाब का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और भाजपा पंजाब के हितों के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है, चाहे वह चंडीगढ़ का मामला हो या पंजाब के पानी का। चंडीगढ़ को लेकर जो भी भ्रम की स्थिति पैदा हुई है, उसे सरकार के साथ बात करके दूर किया जाएगा। एक पंजाबी होने के नाते, मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि हमारे लिए पंजाब सबसे पहले है।"

हालांकि, पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, विपक्षी दल कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल लगातार चंडीगढ़ से जुड़े संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रस्तावित संविधान (131वां संशोधन) बिल का विरोध करते हुए 'एक्स' पर लिखा, "यह संशोधन पंजाब के हितों के विरुद्ध है। हम केंद्र सरकार की ओर से पंजाब के खिलाफ रची जा रही साजिश को सफल नहीं होने देंगे। हमारे पंजाब के गांवों को उजाड़कर बने चंडीगढ़ पर सिर्फ पंजाब का हक है।"

पंजाब विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, "भाजपा सरकार संविधान (131वां संशोधन) बिल ला रही है। यह वास्तव में चंडीगढ़ पर कब्जा करने की कोशिश है। जब से भाजपा सत्ता में आई है, पंजाब ने पिछले 5-7 चुनावों में लगातार पीएम मोदी और भाजपा की सोच के खिलाफ वोट दिया है। अब यह चंडीगढ़ पर कब्जा करने की उनकी अंतिम कोशिश है।"

शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने भी प्रस्तावित संविधान (131वां संशोधन) बिल का विरोध किया। अकाली दल ने सोमवार को दोपहर दो बजे पार्टी की कोर कमेटी की एक इमरजेंसी मीटिंग भी बुलाई है।

सुखबीर सिंह बादल ने लिखा, "पंजाब विरोधी बिल और फेडरल स्ट्रक्चर पर खुलेआम हमले का अकाली दल हर मोर्चे पर मुकाबला करेगा और केंद्र की इस चाल को सफल नहीं होने देगा।"

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि संविधान संशोधन विधेयक का प्रभाव केवल चंडीगढ़ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पंजाब की राजनीतिक प्रणाली और उसके विकास पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। सभी दलों को एकजुट होकर इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए।
NationPress
28/11/2025

Frequently Asked Questions

संविधान संशोधन विधेयक का मुख्य उद्देश्य क्या है?
संविधान संशोधन विधेयक का उद्देश्य चंडीगढ़ में नई व्यवस्थाओं के लिए सुविधाजनक बदलाव लाना है।
भाजपा के नेता इस विधेयक के बारे में क्या कह रहे हैं?
भाजपा के नेता इसे सकारात्मक बदलाव मानते हैं और विपक्ष के आरोपों को निराधार बताते हैं।
राजनीतिक दल इस विधेयक का विरोध क्यों कर रहे हैं?
पंजाब के राजनीतिक दल इसे राज्य के अधिकारों पर हमला मानते हैं और इसे अस्वीकार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान का इस मुद्दे पर क्या कहना है?
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे पंजाब के हितों के विरुद्ध बताया और इसे अस्वीकार करने की बात कही है।
अकाली दल का इस विधेयक पर क्या रुख है?
अकाली दल ने इस विधेयक का विरोध किया है और इसे पंजाब विरोधी बताया है।
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