क्या भाजपा सांसद समिक भट्टाचार्य ने सच में कहा कि 'सुवेंदु अधिकारी के साथ बड़ी अनहोनी हो सकती थी'?

सारांश
Key Takeaways
- सुरक्षा की कमी से हमले की आशंका बढ़ी है।
- राजनीतिक तनाव पश्चिम बंगाल में बढ़ रहा है।
- भाजपा नेताओं पर हमले कोई नई बात नहीं है।
- टीएमसी की आंतरिक लड़ाई से जनता को कोई सरोकार नहीं है।
- बांग्लादेशी भाषा विवाद पर विचार आवश्यक है।
नई दिल्ली, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा सांसद समिक भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के काफिले पर हुए पथराव की घटना पर कहा कि यदि उनके साथ सुरक्षाकर्मी नहीं होते तो बड़ी अनहोनी घटित हो सकती थी।
बुधवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में भाजपा सांसद ने कहा कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब हमारे विधायकों और नेताओं पर हमला हुआ है। पहले भी हमारे तीन विधायकों के साथ मारपीट की गई थी। इसी संदर्भ में सुवेंदु अधिकारी ने 60 विधायकों के साथ क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति मांगी थी। शुरू में पुलिस ने अनुमति नहीं दी, लेकिन बाद में अदालत के आदेश पर सुवेंदु अधिकारी पांच विधायकों के साथ उस स्थान पर गए, जहां जानलेवा हमला हुआ।
भाजपा सांसद ने यह भी दावा किया कि यदि उनके पास सुरक्षा के जवान (सीआईएसएफ) नहीं होते, तो वह जीवित नहीं बचते।
भट्टाचार्य ने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि जिस राज्य में विपक्ष के नेता को स्वतंत्र रूप से घूमने की आज़ादी नहीं है, वहां सामान्य जनता का क्या हाल होगा। राजनीति दल कैसे वहां टिके हुए हैं, यह सोचने की बात है।
समिक भट्टाचार्य ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा के बीच चल रही आपसी लड़ाई को टीएमसी का आंतरिक मामला बताया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय जनता पार्टी और पश्चिम बंगाल की जनता को इस मुद्दे में कोई रुचि नहीं है। भट्टाचार्य ने कहा कि यह टीएमसी का व्यक्तिगत मसला है और इसे दोनों नेताओं को आपस में बातचीत कर सुलझा लेना चाहिए।
बंगाली और बांग्लादेशी भाषा विवाद पर उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में सभी बांग्ला में बात करते हैं, इसका यह मतलब नहीं है कि उन्हें भारतीय नागरिकता दे दी जाए।
हाल ही में सीएम ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया था कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में दिल्ली पुलिस बंगाली को ‘बांग्लादेशी‘ भाषा बता रही है।