क्या केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा ने नशा तस्करी को 'सामाजिक कलंक' बताया?

सारांश
Key Takeaways
- नशा
- समाज पर नकारात्मक प्रभाव
- नशा मुक्त भारत अभियान
- जागरूकता कार्यक्रम
- सामाजिक कलंक
नई दिल्ली, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि नशा एक सामाजिक कलंक है, जो न केवल परिवारों पर बल्कि पूरे समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
बीएल वर्मा ने कहा, नशे का प्रभाव केवल व्यक्ति और उसके परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज और समुदायों को भी प्रभावित करता है, जिससे सामाजिक कलंक और बढ़ता है।
मंत्री ने राष्ट्रीय नशा मांग न्यूनीकरण योजना और नशा मुक्त भारत अभियान की प्रशंसा की, जो नशे की मांग को कम करने में सहायक है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के योगदान और ‘नशे को ना, जीवन को हां’ के संदेश को महत्वपूर्ण बताया। यह बातें मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय नशा विरोधी और अवैध तस्करी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साझा की।
26 जून को हर साल 'अंतरराष्ट्रीय नशा विरोधी और अवैध तस्करी दिवस' मनाया जाता है। इस साल के कार्यक्रम में नशा रोकथाम पर सांस्कृतिक प्रदर्शन, नशे की रोकथाम और उपचार के महत्व के बारे में जागरूकता के लिए सामूहिक शपथ, और नशा मुक्त भारत अभियान की माय गर्वमेंट पर आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरण शामिल था।
कार्यक्रम के दौरान नुक्कड़ नाटक और पैंटोमाइम (मूकाभिनय) प्रदर्शनों ने दर्शाया कि नशा समाज के ताने-बाने को कैसे नुकसान पहुंचाता है। नशे की लत व्यक्ति के स्वास्थ्य, परिवार और समाज को प्रभावित करती है। यह मानसिक विकार, हृदय रोग, दुर्घटनाएं, आत्महत्या और हिंसा का कारण बन सकती है। नशे को एक मनो-सामाजिक-चिकित्सा समस्या के रूप में देखा जाना चाहिए।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय नशा मांग न्यूनीकरण के लिए नोडल मंत्रालय है। नशा मुक्त भारत अभियान देश के सभी जिलों में चल रहा है, जो युवाओं, खासकर उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों, स्कूलों और समुदायों में नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने पर केंद्रित है।
अब तक 15.9 करोड़ से अधिक लोगों को नशे के बारे में जागरूक किया गया, जिसमें 5.29 करोड़ से अधिक युवा और 3.32 करोड़ से अधिक महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा, 4.39 लाख से अधिक शैक्षणिक संस्थानों ने इसमें भाग लिया है।