क्या राजस्थान के बूंदी चिकित्सा विभाग को मिली है 'सौर' ऊर्जा की सौगात?

सारांश
Key Takeaways
- सौर ऊर्जा बिजली की कटौती को कम करती है।
- बिजली के बिलों में राहत मिलती है।
- सौर पैनल से प्रदूषण कम होता है।
- अतिरिक्त बिजली बेचने का विकल्प है।
- यह पहल आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण है।
बूंदी, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के बूंदी चिकित्सा विभाग को सौर ऊर्जा की एक नई सौगात प्राप्त हुई है। इससे चिकित्सा विभाग को बिजली कटौती और बिलों में राहत मिलेगी। राज्य सरकार की ओर से सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन देने की दिशा में उठाया गया यह कदम अब चिकित्सा विभाग के लिए भी लाभकारी साबित होगा।
बूंदी के सामान्य चिकित्सालय में 4.5 किलोवाट क्षमता का सोलर पैनल स्थापित किया गया है, जिससे विभाग की बिजली की खपत में कमी आएगी और मासिक बिजली बिलों में भी राहत मिलेगी।
आवश्यकता से अधिक बिजली की कटौती के कारण सामान्य चिकित्सालय को कई बार व्यवस्थागत समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब सोलर पैनल की स्थापना से अस्पताल में बिजली की आपूर्ति में निरंतरता बनी रहेगी, जिससे मरीजों और कर्मचारियों दोनों को सुविधा मिलेगी।
सामान्य चिकित्सालय के प्रभारी लक्ष्मी नारायण मीणा ने इस पहल पर ख़ुशी जताते हुए कहा, यह सोलर पैनल निश्चित रूप से विद्युत कटौती से उत्पन्न समस्याओं से राहत दिलाएगा, साथ ही बिजली के बिलों में भी कमी आएगी। यह कदम सभी विभागों में अपनाया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार की यह योजना प्रशासनिक कार्यालयों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। सोलर पैनल की एक और विशेषता यह है कि यदि चिकित्सालय में आवश्यकता से अधिक बिजली का उत्पादन होता है, तो वह अतिरिक्त बिजली को डिस्कॉम (बिजली विभाग) को बेच भी सकता है। इससे विभाग को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी, जिसका प्रयोग अन्य खर्चों में किया जा सकता है और विभाग को वित्तीय राहत मिलेगी। यह कदम बूंदी चिकित्सा विभाग को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
उन्होंने कहा कि इससे प्रदूषण नियंत्रण में भी मदद मिलेगी। बिजली उत्पादन के लिए थर्मल प्लांट लगाने से प्रदूषण का खतरा बना रहता है। सौर ऊर्जा एक प्रदूषण-मुक्त विकल्प है; इससे प्रदूषण का कोई खतरा नहीं होता। सौर ऊर्जा भविष्य में अत्यधिक प्रभावी साबित होगी।